Monday, 9 May 2022

संघर्ष अपने आप से, अपनों से!!

मेरे जीवन में कई ऐसे पड़ाव आए जिनका असर अब तक है और आगे के जीवन में भी रहेगा।  ऐसे मौकों पर आम तौर पर जो उम्मीद एक बेटे, भाई से की जाती है मैं उन पर ख़रा नहीं उतर सका। सब कुछ सामान्यतः चलता अगर मैं gay नहीं होता। इस बारे में मैंने अपने परिवार को बताया भी, इसके बावजूद उम्मीदें बनी रही। 

आज भी मेरी माँ मुझसे कभी ये नहीं पूछती की मेरे जीवन में क्या चल रहा है, या अगर मैं कनाडा आया तो क्यों आया। उनके अनुसार मैं यहाँ बस एक ज़्यादा बेहतर job के लिए यहाँ आया हूँ। उन्हें यह बात मैं कई बार समझा चुका हूँ कि यहाँ आने कि वजह अपने आप को सामाजिक और क़ानूनी तौर पर अपने partner के साथ settle होना है। मुझे आज भी यही कहा जाता है कि मैं भारत वापस लौट आऊं, पर वहाँ मैं अपने partner के साथ रह नहीं सकता। मैं अपनी माँ को यहाँ बुलाने की सोचता हूँ, चाहे फिर कुछ समय के लिए ही सही! इन सबको अमल करने में समय लगता है, जो वह मुझे नहीं दे रही है। उन्हें यह तो समझ आता है कि मुझे अपने घर होना चाहिए, पर ये नहीं कि घर में कौन होगा? 

कभी कभी लगता है मुझसे ज़्यादा ख़ुदगर्ज़ कौन होगा, पर फिर उसी पल ये भी लगता है, कि माँ के बाद मेरा कौन होगा? क्या मुझे जीवन भर अपने partner से दूर रहने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए? संघर्ष इसी बात को लेकर है, ख़ुद से भी और अपनों से भी।

~ From the pen of Rohit (a dear friend)

Tuesday, 15 March 2022

अधिक की लालसा

 "अधिक अच्छा या अधिक सुख" पाने की चाह होना स्वाभाविक है। संस्कृत में कहा जाता है कि स्वर्ग का राजा इंद्र भी - जितना है - उसमे संतुष्ट अनुभव नहीं करता अतएव ब्रह्मा के पद की लालसा रखता है। 

Gay लोग भी इस नियम के अपवाद नहीं, पर इसके सबसे अधिक खेदजनक उदहारण अवश्य हैं। प्रथम तो अधिकाँश gays अपने सत्य को स्वीकार कर किसी लड़की की जीवन भर की प्रसन्नता की बलि लेने से विमुख नहीं हो पाते। यदि कोई हो भी जावें, तो 'मात्र एक जीवनसाथी' के साथ आयु व्यतीत करने का प्रण लेने से बचते हैं। यदि कोई विरला यह भी कर ले, तो उसके लिए कोई दूसरा अपने जैसा ढूँढना कितना कठिन कार्य होता होगा, इसे कोई straight व्यक्ति कदाचित ही समझ सकता है।

पर दुर्भाग्य तो देखिये इतनी कठिनता से प्राप्त होने वाले जीवनसाथी के मिल जाने पर भी, gay लोग, "कोई और अधिक आकर्षक, कोई और अधिक गुणवान, कोई और अधिक शिक्षित, कोई और अधिक धनवान या कोई और अधिक चाहने वाला व्यक्ति" ढूँढना बंद नहीं करते! परिणाम यह कि सभी संभावनाओं के विपरीत प्राप्त हुए साथी को निज कर्मों के कारण गवां बैठना ! 

Friday, 4 February 2022

ओस बिंदु

आश्चर्य एवं दुख से भर जाता हूँ जब ऐसे दो गे लड़कों को 'संबंध' में होने का नाटक सा करते देखता हूँ जो विवाहित भी हैं! पर अधिकांश वह 'संबंध' शैय्या पर ही दृष्टिगोचर होता है। और हो भी तो हो कहाँ? शेष सब अवसरों पर अपनी-अपनी पत्नियों व बच्चों से अवकाश ही कहाँ मिल पाता है? तब भी!! 
हृदय के किसी गर्त में इस प्यास को शांत करने के निमित्त प्रबल भाव तो है परंतु साहस नही है! इसी से निर्जन वन में ओसबिंदु चाट कर किसी तरह इस प्यास को भुझने की व्यर्थ चेष्टा चलती रहती है, पर खुले पनघट पर जाकर कूप से भरपेट पानी पीने का साहस नही हो पाता!!