Gay लोग भी इस नियम के अपवाद नहीं, पर इसके सबसे अधिक खेदजनक उदहारण अवश्य हैं। प्रथम तो अधिकाँश gays अपने सत्य को स्वीकार कर किसी लड़की की जीवन भर की प्रसन्नता की बलि लेने से विमुख नहीं हो पाते। यदि कोई हो भी जावें, तो 'मात्र एक जीवनसाथी' के साथ आयु व्यतीत करने का प्रण लेने से बचते हैं। यदि कोई विरला यह भी कर ले, तो उसके लिए कोई दूसरा अपने जैसा ढूँढना कितना कठिन कार्य होता होगा, इसे कोई straight व्यक्ति कदाचित ही समझ सकता है।
पर दुर्भाग्य तो देखिये इतनी कठिनता से प्राप्त होने वाले जीवनसाथी के मिल जाने पर भी, gay लोग, "कोई और अधिक आकर्षक, कोई और अधिक गुणवान, कोई और अधिक शिक्षित, कोई और अधिक धनवान या कोई और अधिक चाहने वाला व्यक्ति" ढूँढना बंद नहीं करते! परिणाम यह कि सभी संभावनाओं के विपरीत प्राप्त हुए साथी को निज कर्मों के कारण गवां बैठना !