Saturday, 29 August 2015

रक्षाबंधन पर बहनों की तरफ से उपहार

रक्षाबंधन के अवसर पर अगर भाई विवाहित है तो बहने भाई को राखी बांधने के साथ साथ भाभी को भी एक रेशमी धागा बांधती है ऐसा हमारे यहाँ प्रचलन है (हो सकता है आपमें से भी कईयों के यहाँ ऐसा रिवाज़ हो). इस रक्षाबंधन के अवसर पर मेरी दोनों बहनों की तरफ से कुछ ऐसा surprise मिला जो लोगों को थोड़ा अजीब लग सकता है पर मेरे लिए बड़ा ही सुखद रहा.  इस बार दोनों मेरे लिए राखी लाने के साथ साथ 'उसके' लिए भी राखी वाले धागे लाई थीं. Mummy और Dady के  सामने ही दोनों मुझे राखी बांधते बांधते कहने लगीं कि "उसको" राखी मैं दे दूंगा या "उसके" बदले की राखी मेरे ही बाँध दें! मेरे संकोंचवश चुप रहने पर दोनों ने वो धागे मेरी ही कलाई पर बांध दिए. Mummy और Dady ये सब होते हुए चुपचाप देखते रहे. 
हालांकि घर में सबको मेरे relationship के बारे में पता है, पर इस बात को "normal" कैसे बनाया जाए इसमें निसंदेह मेरी बहने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं हैं. "Coming Out" मेरे लिए कोई one off incident न होकर एक process है. मैं कभी भी एक दिन अचानक अपने परिवार को अपने बारे में बताकर सदमा नहीं देना चाहता था जो शायद रोने-धोने ओर लड़ाई-झगड़े का रूप ले लेता!. पर मैं ऐसा कर पाने में असफल होते होते ही बचा हूँ, और मुझे इस असफलता से बचाने का कुछ हद तक श्रेय मैं अपनी बहनों को देता हूँ जो हर बार बात को हंसी मजाक में ले जाते हुए मेरे parents के लिए सच्चाई के कड़वे स्वाद को कुछ कम करतीं आईं हैं. 

ये छोटी छोटी बाते कई बार जीवन को सरल बनाने में बड़ी भूमिका निभातीं हैं.

इन्द्राणी प्रकरण में भी गे????





देखिए गे लोगों के प्रति घृणा का स्तर! कहाँ की बात कहाँ जोड़ रहे हैं और मानते आपने को बड़ा विचारक है!!! यह भी देखिये कि इनकी पोस्ट पर किस तरह के comments बिना किसी प्रतिरोध किए जा रहे है! धन्य है हमारे देश की न्याय व्यवस्था!!


अब भला गे लोगों के अपने अधिकारों की मांग करने का एक परिवार के दुखद इतिहास से क्या सम्बन्ध?


P.S.
हालाँकि किसी के धमकाने या घृणा से कुछ नहीं बदलने वाला, फिर भी मैं हमेशा से इस बात का समर्थक रहा हूँ कि साधारण जन मानस को हमे अपना पक्ष समझाने के लिए अपने धार्मिक इतिहास का सहारा लेना चाहिए. लोगो को यह बताया जाना चाहिए कि इस देश का सनातन धर्म और उसकी मान्यताएं straight और gays के मध्य भेद नहीं करते. पर हिन्दू धर्म को ईसाइयत और इस्लाम की श्रेणी में रखने वाले सब बर्बाद कर देते है....!!!

Saturday, 15 August 2015

Therapy

Cancellation of trip to hill-station...
Loads of work in office...
Time crunch...
Bad health...
Family's pressure for marriage...
All I could do in such situation was to go on terrace while it was drizzling to see the little greenery left in few broken pots and walk bare foot on its rain-water-logged surface. Doing it after months, may be after years proved therapeutic.