काश आ जाए मुझे जान से गुज़रते देखे ,
उसकी ख्वाहिश थी कभी मुझको बिखरते देखे ,
वो सलीके से हुआ मुझ से गुरेज़ाँ वरना ,
लोग तो साफ़ मोहब्बत से मुकरते देखे ,
तुम ने देखा है निकलता हुआ सूरज लोगो ,
तुमने कुछ ख्वाब सुहाने नहीं मरते देखे ,
वक़्त होता है हर इक ज़ख़्म का मरहम शायद ,
फिर भी कुछ ज़ख़्म थे ऐसे जो न भरते देखे