Wednesday, 22 April 2015

Responsibility of Suicide

Isn't it shocking the kind of reactions are coming from different people on suicide of AIIMS lady doctor?

Suddenly people are asking why should a gay person marry at all...!!! I ask, what should a gay person do in their opinion? Keep having random sex with all sorts of guys without the luxury of having a family which is legally not tenable in this country, thanks to homophobic countrymen!! Or should he renounce all desires and become a saadhu and go to Himalayas?

And what should he do in old age when no one is there to take care of him? Should he beg the mercy of strangers at that time and die on a hospital bed (if he has enough money  at that age) where no one comes to claim his dead body?

Ashamed of not so great people of this otherwise great country!!
These people made this lady doctor commit suicide. They are responsible for a gay man marrying a girl to cheat her.

(At least this incident has left no doubts in the mind of people that marrying a girl doesn't cures a man of his homosexuality)

Saturday, 18 April 2015

परिपेक्ष्य

अगर Porn देखने के बाद किसी को एक स्त्री-पुरुष के बीच के सम्बन्ध का अंदाज़ा लगाने के लिए बोला जाए तो क्या वह व्यक्ति सही निष्कर्ष पर पहुँच सकता है? क्या स्त्री-पुरुष के बीच के प्रेम सम्बन्ध को कोई Pornography देखकर समझ सकता है? जवाब है – नहीं!

अधिकांश लोग जो गे संबंधो के विरोध में खड़े हैं, असल में दो पुरुषों या दो स्त्रियों के बीच के सम्बन्ध को सिर्फ और सिर्फ sex के दृष्टिकोण से देखकर परखना चाहते है. इस परिपेक्ष्य से वे कभी भी दो गे  साथियों के बीच के प्रेम का अंदाज़ा नहीं लगा सकते और न ही इस बात को कभी समझ सकते है कि अपने विरोध के कारण दो प्यार करने वालों को एक दूसरे से दूर रहने के लिए मजबूर करके वे कितना बड़ा पाप कर रहें है.


कहने में बड़ी साधारण सी बात लगती है पर एक दूसरे से प्यार करने वाले दो पुरुषों या दो स्त्रियों के मन की पीड़ा का अंदाज़ा अगर लोग कुछ हद तक लगाना चाहते है तो उन्हें कोई हिंदी फ़िल्म जिसमे एक विफल प्रेम कथा का चित्रण करा गया हो देखकर लगाना चाहिए. 

~ Prove That Gays Can Love Too.

Let Love Prevail....


Can Love Be Banned?


Let Love Find You!


Saturday, 11 April 2015

Hinduism & Gays

According to Hinduism, Atma changes different bodies from time to time as per the 'karmas'. Even while leaving a physical body, Atma remains in a meta-physical body (called सूक्ष्म शरीर) composed of among other things -mind (मन) and tendencies / inclinations (संस्कार is the word for it in Hindi) acquired from past births.


It goes to a new body according to 'karmas' but takes with it this meta-physical body and consequently the mind and the inclinations.

If it is so... then I see no reason why few so called religious pundits can't digest the fact that a man can well be in love with another man! Body acquired has nothing to do with the tendencies / attachments acquired from past innumerable births (both as male and as a female).

Due this this reason (among many others), no discrimination is found in Hinduism based upon sexuality of a person. What has important for liberation of a soul (be it in a male or female body... as a gay or heterosexual person) is - detachment from world and attachment to Almighty. Only difference is that a homosexual person has attachment in a person of same sex (among other worldly attachments) and a heterosexual person has attachment in a person of another sex!


Monday, 6 April 2015

दोस्ती या दोस्ताना?

पता नहीं कितने लोगों को मेरी तरह लगता है पर मैं जब भी 1964 में बनी फिल्म दोस्ती देखता हूँ, तो मुझे यह दोस्ती कम और “दोस्ताना” ज्यादा लगती है. पूरी फिल्म में दो दोस्तों के बीच का प्यार बिल्कुल भी ढका-छुपा के नहीं दिखाया गया. चाहें वह अगल-बगल में दोनों का सोना हो... या फिर एक का अपनी पढाई के लिए अलग होने पर दूसरे का उदास हो जाना. अगर और अधिक गौर से देखा जाए... तो फिल्म के गाने भी दोनों के बीच के प्यार की ओर इशारा करते नज़र आतें है... जैसे कि “मेरा तो जो भी क़दम है वो तेरी राह में हैं” (कृपया पूरा गाना सुने... मेरे तो पसंदीदा गानों में से एक है!) इसी गाने के बोल “जुदा तो होते है वो, खोट जिनकी चाह में हैं” मेरे मन को बहुत भाते है. इसी तरह एक अन्य गाने के बोल गे लोगों को कमतर समझने वाले लोगों को नसीहत देते जान पड़ते है – “एक इंसान हूँ मैं... तुम्हारी तरह”. इसी गाने में संसार की विविधता को बताते हुए कहा गया है – “इस अनोखे जगत की मैं तकदीर हूँ”.  (साथ ही इस गाने में गेस और बाकी लोगों में मनुष्य होने के कारण समानता दर्शाने वाले अन्य कई बोल है... इसे भी पूरा सुने)



अगर ऐसी ही फिल्म आज बनती तो लोगों की प्रतिक्रिया क्या होती? मेरे मत में तो एक ऐसी ही फिल्म आज बननी ही चाहिए. चाहें दोस्ती फिल्म के बनाने वालों की मंशा ऐसी न रही हो... पर मुझ जैसे एक गे को तो यह फिल्म इसी भाव से देखना पसंद है. निर्माता, निर्देशक और गीतकार का हार्दिक धन्यवाद.