Tuesday, 26 May 2015

चिकने घड़े

किसी का बेटा अगर अत्यंत ढीठ और निक्कमा हो तो उसके माता-पिता व अन्य परिवारजन उसको उसकी गलती का अहसास दिलाने और काम करने को प्रेरित करने के लिए भली बुरी सुनाते ही रहते हैं. लेकिन ऐसा व्यक्ति अगर रास्ते पर आना ही न चाहे तो कुछ समय बाद उसके परिवार के लोग चाहे जितना और जो भी बोल ले... उस व्यक्ति के कानों पर जूं तक रेंगना बंद हो जाती है. वह एक ऐसा चिकना घड़ा बन जाता है जिस पर परिवार और समाज के तानें और उपदेश दोनों ही एक पल के लिए भी नहीं ठहरते  और वह उन्हें पूरी तरह नज़रंदाज़ करना सीख जाता है!

ठीक यही स्थिति इस देश के जनसामान्य और सत्तासीन लोगों की होकर रह गई है. विश्व में चाहें जो होता रहे, देश के कुछ निरीह नागरिक कितनी ही चीख़-पुकार करते रहे, इन लोगों असर होना ही बंद हो गया है.


अब तो चाहें किसी गे से शादी करने के कारण कितनी ही लड़कियां आत्महत्याएँ करती रहें, चाहें गे लोग घुट घुट कर अपना पूरा जीवन बिता दें, या विश्व के किसी कोने में लोग बहुमत से गे संबंधों को स्वीकार्य स्वीकार कर ले... इस देश के लोगों, न्यायपालिका और सरकार तीनो को ही ज़रा भी फर्क पड़ना बंद हो चुका है. लाखों लोग पूरा जीवन (या फिर जीवन के वो महत्वपूर्ण वर्ष) बिना उस सुख के बिता रहे हैं जो मानवमात्र के लिए ज़रूरी हैं, पर कौन सुने? वो कहते है न “They don’t give a damn!!”  

Sunday, 24 May 2015

Ireland Says Yes

एक 15 - 16 साल की उम्र से ही जेल में बंद कैदी को अगर जेल के बाहर की स्वतंत्रता के किस्से सुनाए जाएँ तो उसको कैसा लगेगा?

ठीक वैसा ही आयरलैंड या और किसी देश में गे सम्बन्धों को मान्यता मिलने की बात सुनकर मुझे लगता है...

मन में उठते प्रश्न

पहले भी कितनी बार इस बात को कह चुका हूँ कि हर रोज़ रात होने के साथ मेरे जीवन का एक ऐसा दिन बर्बाद हो जाता है जिसे मैं वास्तविक रूप से जी सकता था. चाहें वह किसी हिंदी फिल्म में दिखाया जाने वाला एक खुशहाल परिवार हो, या फिर अपने किसी रिश्तेदार के मेरी ही उम्र के लड़के के घर बसने का समाचार हो, मन सब कुछ जानते हुए भी पूँछ बैठता है कि मेरा ही क्या दोष था जो....!


आज से 8 – 10 साल बाद अगर इस देश की न्यायपालिका, सरकार और नागरिकों को अपनी “भूल” का अहसास होता भी है तो क्या वे मेरे 18 - 30 वर्ष तक की आयु के ये साल वापस दिला पायेंगे जिनको मैं ओर मेरे जैसे कितने और घुट घुट कर बिता रहे हैं? 

Saturday, 9 May 2015

Birthday Surprise!

Upon hearing that I had no special plans on my Birthday, a female colleague in my office wondered how my 'Girlfriend' is leaving me so easily without taking a 'treat'!!


It was another encounter with the truth that Gay relationships are no different than straight relationships! As I already had an argument with my Boyfriend over the fact that I could not have met him on my B'day!


Isn't it says all?

Saturday, 2 May 2015

The Saloon Incident / Saloon की एक घटना

आज haircut करवाने के लिए saloon पर जाने पर कुछ ऐसी बात पता चली जिसका अहसास पहले से होने पर भी आश्चर्य हुआ. Saloon में मैं अकेला ही customer था और मुझे एक 17-18 साल का लड़का attend कर रहा था.  तभी वहाँ काम करने वाला एक अन्य लड़का फ़ोन पर किसी से पैसों के बारे में कुछ बात करता सुनाई पड़ा. तभी उसके 3 दोस्त saloon owner के न होने का फ़ायदा उठाते हुए वहाँ आ धमके (बाद में पता चला कि वे भी पास ही के saloon में ही काम करते है). कहना पड़ेगा कि उनमे से एक तो दिखने में काफ़ी ज्यादा ही आकर्षक था. खैर... वे चारों आपस में कुछ बातें करने लगे. किसी लड़की के बारे में बात कर रहे थे. फिर उनमे से एक ने बाकी सब को अपने room पर चलने को कहा ओर चारों चल दिए.

उनके जाते ही जो लड़का चुपचाप मुझको attend कर रहा था, बोलने लगा. उसने बताया कि चारों बहुत ही बिगड़े हुए हैं और उन्होंने एक “बिहारी” को फसाया हुआ है. उसी के पास गए हैं. मैंने अनजान बनते हुए पूंछा कि “बिहारी को फसाने” का क्या मतलब है, तो उसने explain किया कि कोई “गांडू बिहारी” है, उसी से मज़े लेने गए हैं. अक्सर GB Road भी जाते हैं. उनमे से दो को तो अक्सर doctor से दवा भी लेनी पड़ती है. मैंने फिर भोला बनते हुए पूंछा, “इन लोगो का Satisfaction लड़कियों से नहीं होता क्या?” तो वह हँस दिया और कहने लगा कि सब को इनकी हरकतों के बारे में पता है.

इस छोटे से incident ने मेरे मन में कुछ प्रश्नों को उठाया –
1.     समाज में straight की तरह अपने को प्रदर्शित करने वाले लड़के (जो कि वाकई एक लड़की के साथ sex में भरपूर आनंद उठाते हैं) आखिर क्यूँ लड़को का उपयोग करने की इच्छा रखते हैं? (ऐसा नहीं है कि sex के लिए लड़की मिलना इनके लिए कुछ कठिन बात है.... जब चाहें वैश्या-वृति से ये वह पा सकते है... और अक्सर पाते भी हैं)
2.     समाज और धर्म कैसे इन लोगों के इस खुल्लम-खुल्ला व्यवहार को बर्दाश्त कर लेता हैं जबकि अगर कोई गे व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ एक पवित्रता भरे रिश्ते की शुरुआत कर घर बसाना चाहता है तो वह घृणा और उपहास का पात्र बनता है? (ध्यान रहे कि ये लड़के मुसलमान थे और इस्लाम में homosexuality काफी बुरी बात समझी जाती है.)
3.     अगर इन लड़कों को मेरे बारे में पता होता तो मेरे प्रति इनका क्या रवैया होता? या फिर किसी भी गे के प्रति इनका क्या रवैया होगा?
4.     “Top” होने का मतलब गे होना नहीं होता, ऐसी भ्रांति जब खुद Gay Community में व्याप्त हैं तो बाकी लोगों को इस विषय में कैसे समझाया जा सकता है?

सभी के विचार आमंत्रित हैं.

~ Prove That Gays Can Love Too.

Analyzing Love?


Well Said...


Killing Love


Friday, 1 May 2015

Bhagwad Gita Chapter 18, Verse 47

~ Bhagwad Gita, Chapter 18, Verse 47

"Acting as determined by one's own nature doesn't bring sins!!"