Friday, 11 December 2015

सर्दियों की कुछ यादें...



सर्दियों के साथ कुछ यादें भी वापस आ गई...

Friday शाम को उससे मिलने के लिए जाना... हमेशा की तरह वो मुझे मेट्रो स्टेशन पर pick करने को खड़ा होता था. जल्दी अंधेरा हो जाने की वजह से शाम 7 बजे का टाइम भी रात जैसा लग रहा होता था. उसकी bike पर बैठ कर ठंडी हवा में ठिठुरते हुए market से कुछ सामान लेकर उसके लगभग एकांत में बने हुए room पर पहुँचते थे. जाते ही वो आदतन मुझे गले से लगाकर bed पर गिरा देता था... रास्ते भर मेरे हाथ उसकी jacket की pockets में होने के कारण उसके हाथों से थोड़े अधिक गर्म हुआ करते थे... जिन्हें मैं उसके एकदम ठंडे गालों पर रख दिया करता था. जब एक दूसरे से लिपटे हुए काफ़ी देर हो जाती थी तो मै dinner तैयार करने की कहकर जबरदस्ती उठ जाया करता था और उसको भी हाथ-मुहं धो कर कपड़े बदलने के लिए कहता था. 

Dinner के लिए बहार से कुछ न लाने की वजह 10-15 दिनों में एक बार उसको अपने हाथों से बना कुछ special खिलाना होती थी. मै kitchen में पहुँच कर बाकी तैयारियों में लग जाता था और उसको कुछ आसान सी सब्जी काटने को दे दिया करता था. पर वो तो तुरंत बच्चों की तरह सब कुछ मुझपर छोड़ कर टीवी में ही घुस जाया करता था. ये देखकर मुझे अन्दर ही अन्दर हंसी आती थी तो भी मै ऊपर से गुस्सा दिखाकर उससे थोड़ा काम करवा ही लिया करता था. बीच बीच में उसका kitchen में आकर मुझे पीछे से पकड़कर लिपट जाना आज भी अनुभव कर सकता हूँ... खैर... मेरे द्वारा बनाया हुआ साधारण सा खाना भी जब वो पेट भरकर खाता था तो एक अजीब सा संतोष हुआ करता था. 

उसके room में से अब घर की सी महक आ रही होती थी... अब घर बन चुके उस room की साफ़-सफाई का जिम्मा उसका हुआ करता था... सब काम खत्म करके दोनों एक blanket लिए बिस्तर पर बैठकर थोड़ा टीवी देखा करते थे... पूरे हफ्ते-दस दिन की बातें भी हुआ करती थी जो फ़ोन पर नहीं की होतीं थी... दिन भर office का काम करने के बाद घर का भी जो अतिरिक्त काम मुझे करना पड़ जाता था (जिसकी मुझे बिल्कुल आदत नहीं है) मुझे पूरी तरह से थका दिया करता था... वो भी दिन भर थकन से मेरे ऊपर अपना एक हाथ रखे रखे सो जाया करता था...! 

पर इस बार की सर्दियाँ काफी अलग है...

Sunday, 6 December 2015

Speak Up David...


Just finished watching Episode 3 of "The New Normal" where Bryan fights with a homophobe who objects to PDA of the gay couple. Bryan is hurt because David didn't speak up when he should have...


I feel exactly the same way... sometimes the silence of your loved one hurts really bad... David later realizes his mistake and punches a guy who was disrespectful towards some other person....but will my "David" do that???

गंगा तट की स्मृतियाँ

अच्छी तरह से याद है मुझे गंगा किनारे की वो शाम जब हम दोनों दिन भर की बेमतलब की यात्रा से थके हुए बैठे थे.... तुम्हारे साथ वो व्यर्थ की यात्रा भी सुखदाई थी...

तुम भी भूले तो नहीं होगे... पर डर है मुझे... के मेरी तरह सोचते नहीं होगे तुम...

उसी दिन की ये एक तस्वीर है....



याद है? उस शाम को गंगा किनारे एक 'पागल' साधू अकेले ही व्यर्थ प्रवचन दे रहा था... हमारे सामने ये दृश्य था जिसे हम हल्की हल्की ठंड होने के बाद भी देर तक देखते रहे थे...?



अगले दिन सुबह जब हम फिर गंगा किनारे पहुंचे थे तो मै आदतन फिर से बच्चों की तरह पानी में पैर डाल कर बैठ गया और तुम हमारा सामान संभालने लगे...

अच्छा लगता है मुझे... थोड़ी देर के लिए ही सही, अपना बोझा किसी को संभालते देखना... पर मेरी नज़र बराबर तुम पर थी के कहीं तुमको मेरी सहायता की आवश्यकता न पड़े... (मेरे दृष्टिकोण से ली गई तुम्हारी वही तस्वीर साझा कर रहा हूँ).

माँ गंगा इन सभी बातों की साक्षी है....


THIS - I call erotic!


Saturday, 17 October 2015

HE

I vividly remember that there was a guy (22 – 24 years old) in our locality about whom my friends used to say that he was a gay (though they didn’t use this word 10-15 year ago, as we didn’t know such word at that time, they probably used some derogatory  word for referring to his sexuality). There was no connection of mine with this guy who was 5-7 years elder to me and I had very small friends’ circle and especially when this guy used to have friends ‘like him’ who used to wander together in the streets spending most of their time outside home - like most boys of that age who were not studying further.

Despite I having very limited knowledge about this guy and absolutely zero interaction with him in person, I knew that people used to say awfully bad things about him. I used to think that this was partly due to his own ‘shameless’ behaviour in front of other guys ( as I had seen him talking not just in an effeminate way but also behaving in a manner which I could correlate only to eunuchs who used to extort money from people on certain occasions). Somehow I was afraid of facing him or even enquiring about him in detail (despite having strong desire to do so partly to know my own sexuality better and partly due to my ever curious nature, I never interacted with him). I always used to think how this guy  was surviving in such a hostile social milieu as I had personally felt the humiliation a few times due to my shy nature which seemed girlish to some bullies in my all boys school. I was so afraid of being ‘caught’ and humiliated again that I used to hesitate in talking to some “hunks” in my school (Despite all of this some most ‘bullish’ guys in my class became my friends, but that’s another story). The very surprising thing about this guy was – he had absolutely no trouble in talking to any guy in our locality. He used to interact with all of them seamlessly.  

As we were in same locality I saw him growing older and behaving in a little more matured manner. His hand gestures were now more restricted and had grown a thick beard. Later, I came to know that he got married with a girl (“!!!!”)

Due to being busy with my own career and education, interactions with local friends dropped to zero and I hardly had seen him in last 2-3 years. But today, while returning home after attending a function I saw him again. He was  coming from opposite direction in his trademark style with 1-2 guys with him, walking without any kind of hurry. As he walked past me, he stared at me like he used to stare boys... I don’t know why, but it felt so strange… First time, he didn’t seem abominable but pitiable.  

Rest of the way, I was wondering why did he marry a girl in first place? Why did he marry  a girl despite most of people knowing his sexual preference? How he was able to walk down the street with head held high? How was his marriage acceptable to society? Was he still going out with boys and having sex with  them? How does it feel, when you are suppressing your real self… for rest of your life? I am sure he must be in touch with other gays with social media… how would he be feeling seeing two guys together? And many other similar questions.

But later I thought that his case wasn’t any different from those gays on Facebook who shall always remain in closet and also marry a girl to satisfy their family and shutting mouth of people in society! In their hearts, all these gays would know who they are, despite that they would be marrying a girl… isn’t that enough to bend their heads in shame? Only difference in case of this guy is that others also know about him…! But to any truly honest person isn’t enough that he himself know about himself that he is a cheater? And what about the pain and feeling of imprisoned in someone else’s dreams by not perusing your own?

I know questions and examples are too many but answers and solutions are few! May God give such people the capacity to think realistically about future… that’s all I can say for now.


~ Prove That Gays Can Love Too.  

Mature Love


Let It Find You


Saturday, 10 October 2015

The Unfortunate Reality

कल एक पड़े लिखे और समझदार किस्म के व्यक्ति से बात करके बड़ा अजीब लगा. 28 वर्ष का वह व्यक्ति अपने को गे स्वीकार करने के बाद भी स्वयं को उस ओर ले जा रहा है जहाँ सब कुछ अंधकारमय है. वह अगले ही वर्ष एक लड़की से शादी करने वाला है. सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि वह यह सब उससे अत्यधिक प्यार करने वाले एक 22 साल के लड़के के मिलने के बावजूद कर रहा है. वह लड़का उसको गले लगा कर रो भी चुका है... अपनी शिक्षा के बाद भी वह ज़नाब अपने को सामाजिक नियमो से इतना अभिभूत मानते है कि कभी एक लड़के के साथ जीवन बिता पाने के बारे में सपना भी नहीं देखते!


प्रश्न यह उठता है कि जब एक उच्च शिक्षा प्राप्त और आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति इस तरह समाज के बनाए अतार्किक नियमो में जकड़ा हुआ हो सकता है तो एक कम शिक्षित एवम आर्थिक रूप से कम सक्षम 22 वर्ष के किसी गे से क्या उम्मीद की जा सकती है?

पर अपना अनुभव बताऊ तो अक्सर मैंने उन्ही लोगो को साहस दिखाते देखा है जिनकी सामाजिक एवम आर्थिक स्तिथि अधिक नाजुक होती है. इसमें शिक्षा ओर विद्या का अंतर भी साफ़ हो जाता है... शिक्षा प्राप्त कर भी ये लोग सब प्रकार से परतंत्र ही है... क्योकि विद्या के विषय में तो प्रसिद्ध ही है – सा विद्या या विमुच्यते!! अर्थात विद्या वो है जो आपको मुक्त करे.

विपरीत परिस्तिथियों के बाद भी जो गे लोग लम्बे समय से एक साथी की तलाश में है और लगातार मिलने वाली असफलता से भी जिनका निश्चय नहीं बदला है उनके इस पक्के इरादे की भूरी भूरी प्रशंसा!! 

Terribly Need Such Moments In My Life


Now That's A Kiss of Love


Nice Message ... Nicer Way...


Friday, 9 October 2015

Walking Together...

यूँ ही साथ साथ चला करें... कभी खत्म अपना सफ़र न हो...

Cute... Isn't it?

Rolling around while kissing is just too damn cute