श्री भगवान ने गीता में अपने प्रिय जनों के जो लक्षण बताए हैं उनमे से एक है – स्थिरमति ( the one who is “Fixed in Determination”) पल-पल में संकल्प बदलने वाले लोगों का तो इहलोक में भी कोई भरोसा नहीं करता...!!
कितने ही लोगों से बात करने पर पता चलता है कि यह ज्ञात होने के बावजूद कि वे gay हैं, वे यह निश्चित नहीं कर पाते कि उन्हें एक लड़के के साथ जीवन बिताना चाहिए या एक लड़की के साथ. बात तब और भी गंभीर हो जाती है जब ऐसे लोग एक “relationship” की तलाश करने लग जाते है. खुदा-न-खास्ता अगर कोई अच्छा व्यक्ति इन्हें मिल भी जाता है तो उस बेचारे की नैया अधर में ही फंस कर रह जाती है... पता नहीं कब इनकी बुद्धि का ऊंट दूसरी करवट बैठ जाए???
अतः किसी के भी साथ एक संबंध बनाने की बात का विचार करते हुए बाकी बातों के साथ-साथ यह भी विचार करना आवश्क है कि सामने वाला मनुष्य “स्थिरमति” है कि नहीं.
कितने ही लोगों से बात करने पर पता चलता है कि यह ज्ञात होने के बावजूद कि वे gay हैं, वे यह निश्चित नहीं कर पाते कि उन्हें एक लड़के के साथ जीवन बिताना चाहिए या एक लड़की के साथ. बात तब और भी गंभीर हो जाती है जब ऐसे लोग एक “relationship” की तलाश करने लग जाते है. खुदा-न-खास्ता अगर कोई अच्छा व्यक्ति इन्हें मिल भी जाता है तो उस बेचारे की नैया अधर में ही फंस कर रह जाती है... पता नहीं कब इनकी बुद्धि का ऊंट दूसरी करवट बैठ जाए???
अतः किसी के भी साथ एक संबंध बनाने की बात का विचार करते हुए बाकी बातों के साथ-साथ यह भी विचार करना आवश्क है कि सामने वाला मनुष्य “स्थिरमति” है कि नहीं.
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