Wednesday, 6 February 2013

2 खबरें और भाव-प्रवाह (1)


आज दो-दो ऐसी खबरें पड़ने को मिलीं जिनसे भारतीय समाज और Western Societies के बीच का अंतर और अधिक स्पष्ट हो गया। पहली खबर United Kingdom से थी जहाँ की संसद ने Gay-Marriages को कानूनी मान्यता प्रदान कर दी और दूसरी USA से थी जहाँ सरकार ने सेना में काम करने वाले Gays के Spouses को भी वही सब सुविधाएं प्रदान करने की बात कही है जो एक Straight सैनिक के Spouse को मिली होती है।

ऐसा नहीं है कि इन दोनों देशो में Gays को समान अधिकार देने की बात का विरोध करने वाले लोग नहीं है या उन्होंने विरोध करने में कोई कसर रख छोड़ी हो, पर एक सरकार का क्या कर्तव्य है? बिना किसी जायज़ कारण के Gays को दिए जाने वाले सामान अधिकारों का विरोध करने वाले लोगो को संतुष्ट रखना या फिर 'सभी को न्याय' जैसे आदर्शों को सर्वोपरि मानते हुए सभी को उनके मूलभूत अधिकार प्रदान करनापर शायद इन देशों को 'विकसित' इनके आर्थिक संपन्नता और सैन्य पराक्रम के आधार पर ही नहीं कहा जाता, बल्कि ये देश शायद अपने प्रत्येक नागरिक के बारे में समान प्रकार से सोचने के कारण और वहाँ की सरकार के कम से कम अपने स्वयं के देश के नागरिको के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने की न्यायशील प्रवृति के कारण  'विकसित राष्ट्र' कहे जाने के अधिकारी हैं।  

इन सभी मापदंडों पर भारत को विकसित देश होने में जाने कितने साल और लगेगें! आर्थिक सम्पन्नता और सैन्य विकास तो अपने हाथ की बात नहीं है, पर सभी नागरिकों को समान अधिकार देना तो अपने ही हाथ में है। पर इस देश में चर्चाएँ भी तो उन्ही मुद्दों पर होतीं है जो 'Fashionable' समझे जाते हैं। नहीं तो एक मुफ़्ती द्वारा कश्मीर में तीन 15-16 साल की लड़कियों के Music Band पर प्रतिबन्ध लगाने और कमल हसन के द्वारा बनाई गई फिल्म 'विश्वरूपम' को तमिलनाडू में ना प्रदर्शित होने देने के राज्य सरकार के निर्णय पर हाहाकार मचाने वाली मीडिया Gays के मूलभूत अधिकारों पर समाज और सरकार के एक अघोषित प्रतिबन्ध पर क्यों चुप्पी साधे है?                                                               Cont to '2 खबरें और भाव-प्रवाह (2)'..............


~Prove That Gays Can Love Too.

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