कल्पना कीजिए कि आपको दिल्ली
से मुम्बई जाना हो और उसके लिए आप चंडीगढ़ जाने वाली गाड़ी में बैठ जाए या फिर
मुम्बई की तरफ चलना तो शुरू करें पर 4-5 Km चलकर ही थक कर बैठ जाएँ. क्या दोनों ही
स्तिथियों में आप मुम्बई पहुँच सकते है? सभी जानते है कि ऐसे मुम्बई नहीं पहुँचा
जा सकता.
____________
कहने को तो कह देना की मैं एक
जीवन साथी की तलाश में हूँ, पर तलाश का मुख्य प्रयोजन होना सेक्स ... तो यह चंडीगढ़
वाली गाड़ी में ही बैठने जैसा है. आप मुम्बई नहीं पहुँच सकते. इसी प्रकार थोड़ा बहुत
किसी अपने अनुकूल जीवन साथी की तलाश करना और फिर खीज कर स्वयं ही प्रयास रोक देना
भी आपको अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचा सकता...!!
____________
अपने आस पास sex-seekers की बहुतायत के कारण खिन्न होकर बैठ जाने से आपका लक्ष्य
पूरा नहीं हो सकता. ठीक इसी प्रकार किसी को ढूंढने का ‘कष्ट’ जिन लोगो से नहीं
उठाया जाता वे लोग कैसे ऐसी अपेक्षा कर सकते है कि कोई और उनको ढूंढने का ‘कष्ट’
करेगा...?
उद्यमेनैव
हि सिध्यन्ति, कार्याणि
न मनोरथै।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य, प्रविशन्ति मृगाः॥
न हि सुप्तस्य सिंहस्य, प्रविशन्ति मृगाः॥
प्रयत्न करने से ही कार्य
पूर्ण होते हैं, केवल इच्छा करने से नहीं, सोते हुए शेर के मुख में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते
हैं।
_______________
पानी पानी चिल्लाने भर से यदि
प्यास बुझ सकती और केवल इच्छा होने भर से जीवन साथी मिल जाता तो ऐसे में पानी और
जीवन साथी का कोई महत्व न रहता. अतः यदि आप वास्तव में अपनी प्यास बुझाना चाहते है
तो केवल चिल्लाते न रहें... छोटी मोटी बातों से बिना खिन्न हुए सिर्फ और सिर्फ अपने
लक्ष्य को ध्यान में रखें.