Thursday, 21 November 2013

हिन्दू धर्म में ईश्वर का गे लोगों के साथ व्यवहार

ईश्वर (श्री राम) के कहे उपरोक्त वचनों को पड़ने के बाद भी क्या किसी को ऐसी शंका रह सकती है कि हिन्दू धर्म में किसी का गे होना ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में कोई अड़चन प्रस्तुत नहीं करता? ठीक जिस प्रकार स्ट्रैट होने से ईश्वर प्राप्ति सरल नहीं हो जाती. यहाँ सबके लिए एक ही मापदंड है वह है “कपट छोड़कर ईश्वर को सर्व-भाव से भजना”.

ज्ञात रहे इस पोस्ट का उद्देश्य ‘धर्मों की सार्थकता या अनावश्यकता’ पर चर्चा करना नहीं है वरन हिन्दू धर्म के अनुसार गे/स्ट्रैट आदि विशेषताओं का ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में अनुपयोगी बताये जाने के सिद्धांत को स्पष्ट करना भर है. यह भी ज्ञात रहे कि ईसाई धर्म और इस्लाम यह मानते है कि आपके गे होने से ईश्वर कुपित होता है और यह एक घृणास्पद बात है. (इस्लाम तो एक कदम आगे जाकर गे लोगों के लिए एकमात्र दण्ड – यानि मृत्युदंड का विधान भी कर देता है. हालांकि मृत्युदंड किस प्रकार दिया जाए – पत्थरों से मार मार कर या फिर ऊँचाई से गिराकर – इस विषय में इस्लाम के विद्वानों में मतभेद है.) दोनों ही धर्म ईश्वर द्वारा गे लोगों की एक बस्ती को जलाए जाने की बात करते है. (अधिक जानने के लिए गूगल का प्रयोग करें!) ~ Prove That Gays Can Love Too.

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