आज शाम Office से घर लोटते हुए Delhi Metro में कुछ ऐसा देखा कि जिसका सीधा सीधा सम्बन्ध Gays से ना होते हुए भी यहाँ सभी को बताने लायक लगा।
Metro के आखिरी Coach में भीड़ बिलकुल नहीं थी। मैं आखिरी pole से सटकर खड़ा हुआ था। मेरे दाई ओर एक लड़का और लड़की खड़े थे जो एक ही Head Phone को लगाये English Songs सुन रहे थे तथा Bluetooth से एक दूसरे के साथ Share भी कर रहे थे। उनकी बातों से लगा की वे अच्छे Friends भर है। बाई ओर Gate के पास एक 45-50 वर्ष का हरियाणवी व्यक्ति खड़ा था। उसके पहनावे और फ़ोन पर ठेठ हरियाणवी में उसकी बातें सुनकर मुझे पता चला कि वह हरियाणवी है। दाई ओर खड़े दोनों मित्र English cum Hindi में Songs के बारे में बातें कर रहे थे। दूसरों को परेशानी हो इतना तेज तो नहीं बोल रहे थे, पर भीड़ ना होने के कारण उनकी बातें साफ़ सुनी जा सकतीं थीं। उस हरियाणवी व्यक्ति का पूरा ध्यान उन्ही पर था। शायद एक लड़की को किसी लड़के के साथ सार्वजानिक रूप से बातें करते देखना उसको आश्चर्यजनक लगने के साथ साथ आपत्तिजनक भी लग रहा था। मैं भी मन में सोच रहा था कि इस हरियाणवी सज्जन को काफी तकलीफ हो रही है यह सब देखकर। साथ ही साथ मैं उस क्षेत्र के बारे में भी सोच रहा था जहाँ से आये दिन Honor Killing की खबरे आती रहतीं हैं। मुझे उस व्यक्ति की भावभंगिमा से ऐसा लग रहा था कि अगर कहीं उस लड़की की जगह खुद उसकी बेटी होती तो उसको वहीँ मार डालता। पर दोनों मित्र अपनी बातों में इतने व्यस्त थे कि उनके पास इतना समय नहीं था कि वे यह देखते कि कैसे कैसे लोगों का ध्यान उनपर लगा है।
इतने में ही Central Secretariat Station आ गया। वहां से कुछ लोग आखिरी coach में सवार हो गए जिनमे 3 लड़के और 3 लड़कियां भी थे जो अपनी Hotel Management की Class से घर लोट रहे थे। ये 6 Friends ठीक उन्ही हरियाणवी सज्जन के पास ही जाकर खड़े हो गए और दिन भर की ऊट-पटांग बातें करने लगे जैसा की सभी साथ पड़ने वाले दोस्त करतें हैं। इनमें से एक लड़के ने एक लड़की के कन्धों पर हाथ भी रखा हुआ था और बातों ही बातों में उसकों हल्का सा थप्पड़ भी लगा रहा था। सभी दोस्त एक दुसरे से बहुत ही मजाक कर रहे थे (पर दिल्ली के रहने वाले लोगों के दृष्टिकोण से वे अभद्र बिलकुल नहीं थे।). उन हरियाणवी सज्जन का अब पूरा ध्यान इन्ही बच्चों पर था। पर अब उनके चेहरे के भाव पूरी तरह से बदले दिखाई पड़ रहे थे। वे बड़े ही ध्यान से उन बच्चों की बातें सुन रहे थे और धीरे धीरे उनके साथ मुस्कुरा भी रहे थे। जोर से हँसने वाली बात पर तो उनकी मुस्कराहट साफ़ हंसी में बदलती नजर आ रही थी। अब मुझे किसी भी प्रकार से उनके चेहरे पर आश्चर्य या घृणा के भाव नजर नहीं आ रहे थे। ऐसा लग रहा था कि ना केवल वे उनकी बातों का पूरा पूरा आनंद ले रहे थे बल्कि उनमें Participate करने के भी इच्छुक थे।
थोड़ी देर में उन मित्रों का Station आया और वे उतर गए। आगे अपने Station पर वे हरियाणवी सज्जन भी उतर गए।
पता नहीं कि यह एक ही चीज़ को बार बार देखने का असर था या कुछ और, पर मैं सोचता रहा कि उस व्यक्ति के चेहरे के भावों में इतना बदलाव क्यों आया। पर इस वाकये से कुछ बातें साफ़ हैं--
1. जो लोग देखने में बिलकुल हृदयहीन लगते है जरूरी नहीं कि वे अन्दर से भी ऐसे ही हों।
2. कुछ मासूम लोगो की अनजाने में की गई भोली भाली बातें कभी कभी वह काम कर जातीं है जो लम्बा भाषण नहीं कर पाता।
3. पहली बार देखने में जो चीज़ आपको बिना किसी कारण के अजीब और अनैतिक लगती है वही चीज़ बार बार देखने पर आपका अकारण विरोध जाता रहता है।
मुझे पता है कि इस सब से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि अगर वे हरियाणवी सज्जन लड़के और लड़कियों की दोस्ती के विरुद्ध थे तो यह सब देख कर बिलकुल पहले जैसे नहीं रहे। या फिर अब उनको अपनी बेटी को किसी लड़के से दोस्ती करते देखने में संकोच नहीं होगा। पर इतना जरूर है कि एक यात्रा में दो दो उदाहरणों के मिलने का उनके दिल और दिमाग पर कुछ तो प्रभाव जरूर पड़ा होगा। कम से कम उनके दिमाग का यह तो फितूर कुछ हद तक निकला होगा कि एक लड़का और एक लड़की एक दुसरे से मिलने पर केवल वही सब नहीं करते जैसा कि वे सोचते आये हैं। उनका Modern Generation के बारे में कुछ तो भय कम हुआ होगा। कम से कम आज शहरों में जो सच्चाई है, उससे तो वे अवगत हुए होंगे!
गौर करे तो इस घटना के Gays के लिए भी परिणाम हैं। अक्सर Gays अपने आप को इतना असुरक्षित अनुभव करते रहते है कि अपने आस पास के लोग उन्हें एकदम हृदयहीन नजर आतें हैं और उनको इस बात का कभी अहसास ही नहीं होता कि थोडा समझाने बुझाने से वे उनको धीरे धीरे ही सही पर स्वीकार करने लग सकते हैं। केवल दूसरों में कमियां और गलतियाँ ढूंढते रहने और दूसरों पर दोषारोपण करते रहने के बजाए क्या Gays को सकारात्मक होकर अपना जीवन नहीं जीना चाहिए? कब तक Gays खुद के पहल ना करने का ठीकरा दूरों के सर मड़ते रहेंगे?
सभी से प्रार्थना है कि इस विषय में थोडा सोच विचार करें।
~Prove That Gays Can Love Too.
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