कई दिनों पहले मैंने Facebook पेज 'Prove That Gays Can Love Too.' पर हिंदी फिल्मों में Gays के हास्यास्पद चित्रण पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि Bollywood Directors, Producers और Script Writers को थोड़ा ज्यादा समझदार हो जाना चाहिए। बड़ा ही अच्छा लगा जब आज Delhi Times में Bollywood में Gays के चित्रण की वैसी ही आलोचना पड़ने को मिली जैसी कि मेरे मन में है। लोगों की असंवेदनशीलता का फायदा उठाने के लिए Gays को एक हास्यास्पद पात्र के रूप में दिखाए जाने पर मुझे सदा से कड़ी आपत्ति रही है। साथ ही साथ मेरा यह भी मानना है कि जिन लोगो के मन एवं मस्तिष्क में किसी भी तरह के संपर्क तथा सूचना के आभाव में Gays की कोई भी छवि नहीं थी, Bollywood फिल्मो की वजह से एक ऐसी छवि निर्मित हो चुकी है जैसी Gays ने कभी नहीं चाही थी। अब तो Bollywood के ही कुछ संवेदनशील तथा विचारपूर्ण लोगो को, बाकियों के द्वारा किये गए जाने अनजाने के इस अपराध को धोना होगा। ऐसा वे कब और किस प्रकार करना शुरू करते है यही देखना है। तब तक Hindi Films के प्रति मेरा कोई विशेष लगाव होने की उम्मीद नज़र नहीं आती।
~Prove That Gays Can Love Too.
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