दिल्ली में कुछ दिनों पहले जो घटित हुआ उसकी प्रतिध्वनि आज प्रत्येक व्यक्ति के मुंह पर पुलिस और सरकार के प्रति आक्रोश के रूप में सुनाई पड़ रही है। कुछ नरपशुओं के इस विभीत्स कृत्य ने आज उन लोगो को भी कुछ हद तक जगा दिया है जो अक्सर समाज की किसी समस्या से सरोकार नहीं रखते। हर व्यक्ति अवाक् है यह देख कर कि किसी निसहाय मानव के साथ कुछ दूसरे तथाकतिथ इंसान क्या कर सकते हैं। इस तरह की शर्मनाक घटना पर बात करना मेरे लिए हालाँकि Comfortable तो नहीं है पर आज समय ही ऐसा है कि हर किसी को अपने Comfort-Zone से बाहर आना ही होगा।
Rape किसी व्यक्ति के ऊपर अपनी तुच्छ इच्छाओं को जबरदस्ती थोपना नहीं तो और क्या है? आप भूल जाते हैं कि सामने जो स्त्री या पुरुष है वह एक सजीव इंसान है जिसकी अपनी कुछ इच्छाएं एवं पसंद हैं। पर आप अपनी मर्जी को अधिक महत्वपूर्ण मानते हुए किसी को असहाय पाकर अपने बहुबल के प्रयोग से उसका किसी वस्तु की भांति उपभोग करते है। हालाँकि दिल्ली में जो हुआ वह Rape से कहीं बड़कर है, पर क्या Rape की हर घटना Gays को कुछ सूचना देती नहीं मालूम पड़ती?
मेरे विचार से सूचना यह है कि एक ऐसे समाज से जहाँ Rape होना एक सामान्य बात है और जहाँ लोगो को झकझोरने के लिए इतनी विभीत्स घटना की आवश्यकता होती हैं वहाँ Gays के साथ होने वाले एक प्रकार के Rape को कोई समझने वाला नहीं मिलेगा। Gays के साथ होने वाला यह Rape शारीरिक न होकर मानसिक है। एक Gay को शुरू से ही समाज की इच्छाओं और धारणाओं के आगे घुटने टेकने को मजबूर किया जाता है, समाज को उस Gay की इच्छाओं और पसंद से कोई सरोकार नहीं है। जो Gay इस सब का विरोध करके सामने आता है उसके मान सम्मान को तरह तरह से आहात किया जाता है। उसे जानवर से भी बततर बना कर पेश किया जाता है, और ऐसा करने वालों को जरा भी पश्चाताप करने की जरूरत महसूस नहीं होती!
जरा और सोच कर देखिये, आपको भी किसी 23 साल की लड़की के साथ होने वाले Gang-Rape और समाज द्वारा Gays के साथ किये गए बर्ताव में कई समानताएँ नज़र आयेंगी।
~Prove That Gays Can Love Too.
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