अधिकांश युवा मित्र जो विचारशील होने के साथ-साथ खुले दिमाग के भी हैं, अपने हृदय पर हाथ रखकर खुद से पूँछे कि जब उन्हें एक लड़की अच्छी लगने लगती है तो मन के क्या भाव होते हैं? क्या तब आप मन से यह नहीं चाह रहे होते कि आपका और उसका साथ हमेशा-हमेशा के लिए हो जाये? आप उसका पूरा ख्याल रखें और वह भी आपकी हर छोटी बड़ी बात को समझे? दुनिया के सामने आप उसे गर्व से अपनी कह सकें और वह भी आपका हाथ पकड़ने में सुरक्षित महसूस करती हो? आप दोनों इशारों में ही एक दुसरे को अपने मन की बात समझा जायें? और सोचिये कि- क्या जब आप दोनों एक दूसरे से प्यार भी करने लगते हो तो क्या आप मिलकर एक प्यारा सा परिवार बसाने का सपना नहीं देखते? आपमें से जो एक अनुकूल साथी पाकर इस अवस्था तक पहुँच गए हैं, ने तो शायद अपने बच्चो के नाम भी निश्चित कर लिए होंगें! सच है ना?
मैं एक गे हूँ और मुझे एक लड़की को देखकर कभी भी ऐसा नहीं लगा। तो भी मैं आपकी इन भावनाओं को जानता भी हूँ और समझ भी सकता हूँ। तब आप ऐसा मेरे जैसे लोगो की समरूप भावनाओं के विषय में क्यों नहीं कर सकते? क्या यह इतना कठिन कार्य है?
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