काश कि बात केवल सेक्स तक ही सीमित होती तो अधिकांश गे लोग अपनी इच्छाओं को मारकर अपने परिवार के लोगो की ख़ुशी के लिए एक स्ट्रैट आदमी बन जाते। और इसमें कोई बुराई भी नहीं होती। पर बात तो 'केवल सेक्स की भूख' से कहीं अधिक आगे की है। बात किसी का प्यार पाने, किसी को प्यार करने, एक परिवार के सपने संजोने और इन सपनो को अपना जी-जान लगाकर साकार करने की हो तो इतनी आसानी से उसे ताक़ पर नहीं रखा जा सकता। जिस संसार के अधिकांश लोग जीवन भर अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखने के लिए संघर्ष करते रहने के बावजूद असफल रहते हो, वहां अगर गेस को मन की उन भावनाओं, जिनका सम्बन्ध प्रेम से है, पर लगाम लगाने के लिए विवश किया जाये तो इससे अधिक मूर्खता और दोगलेपन की बात और क्या होगी?
If it were just limited to the desire to have sex, most of the gays would have killed their desires long back for the sack of happiness of their families. They would have turned into a straight guy and there wouldn't be anything wrong in it. But it is far away from 'hunger for sex'. It is about the desire of loving someone, being loved by someone, dreaming for a family and doing everything to materialize that dream and for sure such desires cannot be ignored. In a world where most of the people who struggle to control their senses, remain unsuccessful, if gays are asked to control those desires which pertain to 'love' then it can only be called foolishness and double speak.
No comments:
Post a Comment