जब आप उच्च-शिक्षा और अच्छी नौकरी पाने के लिए गे होने के बावजूद वर्षों इतनी कोशिश करते हैं, तो फिरएक अच्छा जीवन साथी चुनने के लिए कुछ हफ़्तों या महीनो की कोशिश के बाद यह कहते हुए थककर क्यों बैठ जाते हैं कि मैं तो गे हूँ... मुझे कहाँ कोई अच्छा जीवनसाथी मिलेगा ?
कहीं आप स्वयं तो यह नहीं मानते कि 'जीवनसाथी मिलना एक गे के भाग्य में होता ही नहीं हैं?'
क्षमा कीजिये पर यदि आप ऐसा मानते है तो गे लोगों के (खासकर नई पीड़ी के गेस के) आप ही सबसे बड़े शत्रु हैं।
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