यह बात न केवल कष्टप्रद है बल्कि दुखद भी है कि कितने ही लोग वर्षों से अपनी सच्ची Sexuality को दबाये दबाये इस हद तक इसके आदि हो गए है कि वे सच्चाई को जानना भी नहीं चाहते। उन्होंने किसी प्रकार इस पीड़ा और खालीपन को सहने की आदत बना ली है। और जब कोई उस दर्द और निस्सारता की ओर उनका ध्यान आकर्षित करना चाहता है तो वे उसी व्यक्ति पर नाराज़ हो पड़ते है।
~Prove That Gays Can Love Too.
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