Thursday, 29 August 2013

प्रशंसा पत्र (For certain Straights & Bisexuals)

कितने ही ऐसे 'Straight'(?) और 'Bisexual'(??) लोग हैं जो फेसबुक के Gay लोगों के मध्य मिलते है। हममे से कई मूर्खों को ये ऐसे 'परजीवी' जान पड़ते है जो गे लोगों को बदनाम करने का काम करते है। पर गहराई से सोचें तो से चुपचाप ऐसे कई काम कर रहें है जिनके लिए ये धन्यवाद के पात्र है। उन सभी गे लोगों की निंदा करते हुए जो बिना इनकी बातों पर ध्यान दिए एक  सच्चा प्यार खोजने की 'भूल' कर रहे है, मैं यह प्रशंसा पत्र  इन Straight और Bisexual महानुभावों  के कार्यों को रेखांकित करते हुए लिखना चाहूँगा। आशा है 'मूर्ख किस्म' के गे कुछ सबक लेंगे। 

फेसबुक पर गे लोगों के मध्य पाए जाने वाले Straight और Bisexual महानुभावों,

निश्चय ही आप लोग धन्यवाद के पात्र है क्योंकि आपकी उपस्तिथि के कारण ही फेसबुक के निम्न दर्ज़े के प्राणियों (अर्थात गेस) के जीवन की सार्थकता है। अगर आप लोग न होते तो हम 'गे' लोगों का कौन सहारा होता। जीवन को मौज-मस्ती के साथ कैसे जीना चाहिए यह आप लोगों ने ही तो हम गे लोगों को सिखाया है वरना तो हम लोग बेकार ही 'Relationships' के पीछे भागकर अपना समय बर्बाद कर रहे होते। आप लोग जिस प्रकार बिना किसी स्वार्थ के गे लोगों को अनुग्रहित करने के लिए उनके साथ 'Sex Onlyकहकर जुड़ते है वह सचमुच प्रशंसनीय है। ऐसा हम जैसे साधारण मनुष्य कभी नहीं कर सकते।

आप में से सर्वाधिक करुणापूर्ण तो मुझे 'Straight' लोग लगते है क्योंकि उनका पुरुष शरीर में कोई भी आकर्षण न होने के बावजूद वे गे लोगों के साथ संबंध बनाकर अपने निजी विवाहित जीवन को खतरे में डालते है। अपने घर-परिवार की फिक्र किए बिना गे लोगों में उनके कल्याण के लिए इतनी रूचि दिखाना .... ऐसे अकारण स्नेह के उदाहरण विरले ही मिलते है। पर इससे आपकी 'Straightness' में कोई कमी आती हो ऐसा नहीं है .... आखिर आपको यह वरदान जो मिला है कि भले ही आप कितने ही गे लोगों के साथ बिस्तर साझा करे पर आप रहेंगे 'Straight' ही। धन्य है आपकी महिमा!

​पर महिमा तो आप 'Bisexuals' की भी कम नहीं है। आखिर आपको भी एक सिद्धि मिली हुई है। आप चाहें कितने ही लड़के और लड़कियों के साथ संबंध बनाए, पर आपके 'Bisexual' होने के प्रभाव से कोई पाप  आपको छू भी नहीं सकता। समाज की परंपरा को बनाए रखने के लिए आप लडको में भी रूचि होने के बाद भी, शादी  किसी लड़की से ही करते है और हम जैसे गेस को कृतार्थ करते रहने के लिए 'Friendship' के नए अर्थ का आविष्कार करते है। 

मैं फिर से आपकी उस कृपा के बारे में आपको धन्यवाद देना चाहूँगा जिसके द्वारा आप लोगों ने हम गे लोगों को यह अहसास करवाया कि दो गे लडको के बीच में संबंध संभव ही नहीं है। आपकी इस कृपा के आभाव में हम मूर्ख लोग वर्षों तक इस 'असंभव' वस्तु के पीछे भागते रहते। आप लोगों ने ही तो हम गे लोगों की आँखें 'Friendship' का रास्ता दिखाकर खोलीं जिस पर चलकर हम लोग आप जैसे कई महानुभावों के उपयोग की वस्तु बनाने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते है। पर आपकी संतुष्टि हमारी इतनी ही सहायता से कहाँ होने वाली थी! आप तो हम 'गिरे हुए' गे लोगों को बिना अपने जैसा बनाए कहाँ दम लेने वाले है! आप ही तो समय-समय पर हमको 'Straight' और 'Bisexual' के दर्ज़े तक उठने की विधि बताते है। एक न एक दिन समाज के "पुरुष और स्त्री के बीच शादी" नामक पवित्र नियम के आगे घुटने टेककर ही हम 'Straight' या 'Bisexual' कहलाए जा सकते है, यह आप ही हमे समझाते है। बिना आपके बताए हम मूर्खों को इतनी अक्ल कहाँ थी कि हम यह जान सकते कि एक लड़की से शादी करने के बाद भी हम अपने 'मज़े' या 'Fun' के कामों को जारी रख सकते है। इस पर भी हम में से जिन मूर्खों की किसी लड़के से सच्चा प्यार करने भूख शांत नहीं होती है उनको भी आप ही यह कहकर सच्चाई से अवगत कराते है कि "Dude एक न एक दिन सभी Gay Relationships टूट ही जाते है।" सच है कि Gay Relationships की सच्चाई का जैसा अनुभव आप लोगों को हाँसिल होता है वैसा हम प्यार पाने की इच्छा रखने वाले उद्दण्ड गेस को कहाँ!!!

पर हद तो तब होती है जब आपकी इतनी कृपाओं के बाद भी हम में से ही कई 'नीच' किस्म के लोग आपको कायर, स्वार्थी और Sex-Seeker तक कहकर बुलाते है। भला हमको इतनी समझ कहाँ कि समाज के कुछ ख़ास नियमों को आँखें बंद करके को मानना कायरता नहीं वरन सामाजिकता है। इसी प्रकार आपका हम जैसों को Relationships से दूर रहने के लिए समझाना आपका अपने लिए हमेशां सेक्स के लिए गे लोगों की उपलब्धता बनाए रखने का स्वार्थ नहीं वरन उनके प्रति की गई अकारण चिंता है। आपका गे लोगों के साथ किया गया सेक्स आपको Sex-Seeker नहीं बनाता वरन यह सिद्ध करता है कि किस प्रकार गे लोग आप जैसों को फँसाने में लगे रहते है। 

एक हैरानी की बात और है, हममे से कुछ नासमझ आपको एक Gay ही मानते है। वे कहते है कि आप लोग असल में ऐसे गे ही हैं जिन्हें गे होने पर शर्म तो आती है पर जो अपनी "गे रूचि" का परित्याग नहीं कर सके है। पर उन मंद-बुद्धियों को क्या पता, आप लोगो ने Straight या Bisexual होने का प्रमाणपत्र या तो एक लड़की से शादी करके पहले ही ले रखा है या शीघ्र ही ले लेंगें। ऐसे में इन मूर्खों को अपनी बकवास करते रहने दीजिए और आप अपने समाज सेवा के काम में बिना किसी हिचकिचाहट के लगे रहिए। वैसे भी दुनिया की तरह-तरह की बातें एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकालने का गुण आपमें पहले से ही विद्यमान है। 

सच है कि आप जैसे लोग विश्व में मुट्ठी भर ही होंगे। अस्तु जो भी हो आप जितने भी हैं उतने ही काफी हैं।

आपका कृपा आकांक्षी

एक नादान 'गे

Tuesday, 27 August 2013

इसलिए मुझे गे होने का भय नहीं है!

सोचा पिछले वर्ष की जन्माष्टमी वाली पोस्ट ही शेयर कर दूं!

“Lord Krishna ranks enemies and son equally…….” Will it be
so surprising to you if He treats Gays and Straights alike??

जन्माष्टमी की शुभकामनाये : जय श्री कृष्ण

गलत शीर्षक (BBC Hindi)

आज "बीबीसी हिन्दी" वेबसाइट पर एक खबर पड़ी जो बीबीसी वर्ल्ड सर्विस, कराची के पत्रकार मुबीन अजहर के हवाले  पब्लिश की गई है. (लिंक के लिए नीचे देखें)

वेबसाइट के द्वारा खबर के शीर्षक के चुनाव पर काफी गुस्सा आया. शीर्षक था -
अगर स्वर्ग ऐसा है तो ऐसे स्वर्ग से
निकल जाना भला!
"
समलैंगिकों का स्वर्ग है पाकिस्तान का कराची!" कराची को समलैंगिक पुरुषों का स्वर्ग बताने के पीछे जो कारण विभिन्न लोगों के हवाले से बताये गए है उनमे 'भूमिगत पार्टियाँ', 'दरगाहों पर सामूहिक सेक्स' और 'सुविधा के लिए किसी लड़की से शादी' करना प्रमुख है. संभवतया पाकिस्तानी पत्रकार महोदय बीबीसी के लिए काम करने के बावजूद अपने 'इस्लामिक देश और समाज' से पाए स्वाभाविक पूर्वाग्रहों को नहीं त्याग पाएं हैं. वरना वे चोरी छिपे मात्र सेक्स कर पाने को मजबूर पाकिस्तान के गेस को स्वर्ग का लुत्फ़ उठाते नहीं पाते। पर खबर में कुछ ऐसी सच्ची बातें भी लिखी गई है जिनसे पाकिस्तानी गे समाज के कष्टों की तरफ ध्यान जाता है.  

जिन प्रासंगिक बातों पर इस आर्टिकल में ध्यान दिलाया गया है वे हैं :
* इस्लामिक समाज में भी गे लोगों के पाया जाना और उनका सक्रीय होना।
* समाज की वह मानसिकता जहाँ दो पुरुषों के बीच सेक्स को कोई बड़ी बुराई नहीं माना जाता बशर्ते वे अंत में एक लड़की से शादी कर लें.
* पुलिस, सैन्य अधिकारियों और मंत्रियों तक की 'गे सेक्स' में रूचि।
* अगर परिवार में कोई गे है तो उसके 'एक्टिव' पार्टनर होने में कम शर्म का अनुभव होना।
* एक इस्लामिक राष्ट्र होने की वजह से निकट भविष्य में गे लोगों की स्तिथि में सुधार की न के बराबर सम्भावना। 

इसलिए इस खबर की आलोचना को मैं केवल गलत शीर्षक के चुनाव तक ही सीमित रखूँगा और आशा करूंगा कि भविष्य में वेबसाइट किसी अन्य भाषा में गेस से सम्बंधित खबरे या आर्टिकल्स छापते हुए भी उतनी ही सावधानी बरते जितनी की अंग्रेजी में छपते हुए बरतती है।


     


Saturday, 24 August 2013

Reply To Joshua Agams

Today when I logged into my Facebook account, I found a piece of sermon written on the wall of ‘Prove That Gays Can Love Too’ by some Joshua Agams. You can read the typical lecture given by a typical fundamentalist which I have reproduced verbatim. For the benefit of all, I am share it along with my reply thereto. 

Joshua Agams:
Its a pity how ppl now cage then selves calling them selves gay ppl..u better wake up, cos God never plan any of this Gay idea... Come to think of it, what how did God deal with the gay ppl in Sodom n Gomorrah when they try to have there way sexually with the does angels that visited Lot's family ? Well u check wat happen to dem in the Holy bible in Genesis chapter 19 verse 5 to 11. No i don't hate ppl for bin gay but the fact still remains,u hate wat God destine for u,ie obeying him concerning his initial gud plans whic involves Adam and Eve n not Adam n Adam or Eve n an oda Eve, as simple as that.


My Reply:
There are few points which you need to understand. 

First, whole population of this world is not Christian so they are not bound by whatever is written in holy bible. 

Second, you are just another human being, you have not got any special right to interpretate God’s will. It is preposterous for any believer to claim that he understands God’s will completely. I cannot comment much about the authenticity of the example you have given, but can’t you see what is evident from your surrounding? God is providing same amount of sun-light, air and space to gays around the globe without any sort of discrimination. God has given them the capability to enjoy with their respective life-partners. So I don’t see any such design of God whereby homosexuals are discriminated. On the contrary there are people who claim to be God’s followers are trying their level best to interfere with God’s will. Tell me… Is God himself not capable enough to enforce his will? Why does he need your help? 

Third, try to educate yourself about the concept of God as it is practiced in Hinduism (the Vedic religion), then you would know that no one in this world is capable enough to understand Almighty’s will, nor does that Almighty and Omnipresent God is perturbed by anyone’s sexuality. Being heterosexual is of no help in attaining Him nor does homosexuality posses any sort of disability in His pursuit. He is interested just in our mind’s attachment (towards material world or towards Him). He accepts all those who love Him irrespective of their sexuality (or rather irrespective of any other material attribute). 

Lastly, I would like to quote a verse from Rig Veda (the oldest scripture, the mankind knows) 

Who really knows?
Who will here proclaim it?
Whence was it produced? Whence is this creation?
The gods came afterwards, with the creation of this universe.
Who then knows whence it has arisen? ~Rig Veda 

(Here it is emphasized that even gods/ demi-gods are incapable of understanding His (God’s) will and deeds, leave alone mortal humans.) 

That’s it. 

Friday, 23 August 2013

अगर ऐसा होता



कुछ भी कहिए यह प्रश्न तो मन में उठता ही है कि कैसा होता यदि इस दुनिया में गे लोग बहुसंख्यक और मुख्यधारा के होते। सोचिए, जितना कष्ट एक गे को अपना जीवनसाथी खोजने के लिए आज उठाना पड़ता है, तब नहीं उठाना पड़ता। मन में एक सिहरन सी उठ जाती है जब उस दृश्य के बारे में सोचता हूँ जिसमे दो लड़कों (अथवा दो लड़कियों) के बीच में अनायास ही प्यार हो जाता (यानी उन्हें प्यार खोजने के लिए मारा मारा नहीं फिरना पड़ता). या फिर कैसा होता जब अभिवावक एवं परिवार के लोग ही अपने गे बेटे या बेटी के लिए रिश्ते की फिक्र करते नज़र आते (जैसे कि आज अपने 'स्ट्रैट' बच्चों की चिंता करते नज़र आते है). अगर गे लोग ही बहुसंख्यक होते तो किसी से प्यार होने पर उसे बताने से पहले हमे इस बात का डर नहीं होता कि उसकी स्वाभाविक रूचि हम में नहीं होगी। और सबसे अधिक तो तब अच्छा लगता जब आप बेख़ौफ़ अपने साथी के साथ संसार के सामने आ सकते बिना लोगों की तरह तरह की बातों की फिक्र करे. 

   

Tuesday, 20 August 2013

Somewhere, Someone

This is what I want to say to all my Gay Friends who are genuinely looking for their life partner but feel that perhaps such a person doesn’t exist.

Monday, 19 August 2013

भरपाई

कभी-कभी उससे फ़ोन पर बातें करते हुए ऐसा भी मन होता है कि दोनों कुछ समय के लिए बिल्कुल चुप रहें. शायद यह उन पलों की भरपाई करने का माध्यम होता है जो हमें लम्बे समय तक साथ-साथ रहने के बाद ही उपलब्ध हो सकते है जब करने के लिए कोई बात ही शेष न रह जाती हो और जब एक दूसरे की उपस्तिथि ही पर्याप्त होती हो. 

Sunday, 18 August 2013

छोड़ दीजिए बहानेबाज़ी

लाख बहानेबाज़ी कीजिये, कितने ही किन्तु परन्तु लगाइये, कितना ही गला फाड़-फाड़ कर यह ढिंढोरा पीटिए कि दो गे एक सच्चा और पवित्र संबंध बनाकर जीवनभर साथ-साथ नहीं रह सकते.... अंततोगत्वा आपका मन आपके सब बहानों की पोल स्वयं तब खोल देता है जब आप ऐसी तस्वीरों को देखते है और ऐसे ही किसी क्षण की कल्पना अपने जीवन में करने लगते है. आपकी सोच आपके विभिन्न तर्कों पर स्वयं पानी फेर देती है जब आप इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि आप भी किसी लड़के से ठीक उसी तरह का ही तो प्यार करते है जैसा आपका कोई दोस्त किसी लड़की से करता है.

जब बार बार ऐसा हो तो समय रहते व्यर्थ बहाने बनाने और “असंभव-असंभव” की रट को छोड़ देने में ही भलाई है. 

Saturday, 17 August 2013

घिनौनी सोच


क्या आप विश्वास कर सकते है कि किसी का भाई उसके गे होने पर इतना ज्यादा शर्मिंदा है कि उसे लगता है कि बेहतर होता अगर उसका भाई गे होने के बजाय एक बलात्कारी होता। (एक Facebook Friend ने अभी कुछ ही दिन पहले यह बात मुझे बताई). 


सच पूँछिये तो गे विरोधी लोगों के अधिकाँश तर्क इसी प्रकार 'Self-Defeating' ही होते है. पर दुःख की बात है कि इतनी गन्दी और असामाजिक सोच रखने वाले लोगों की जहाँ भर्त्सना होनी चाहिए वहीं उनको सम्मान दिया जा रहा है और दूसरी ओर साफ़ मन और निष्कपट चरित्र वाले कुछ मनुष्यों को घिनौना करके सिर्फ इसलिए दिखाया जा रहा है क्योंकि वे गे है. 


सोचा ही जा सकता है कि उस Friend के मन पर क्या गुज़रती होगी।

Wednesday, 14 August 2013

उत्तरदायित्वों के साथ स्वतंत्रता (In Gay Perspective)

स्वतंत्रता कभी भी निरंकुश नहीं हो सकती। किसी भी तरह की स्वतंत्रता के साथ कुछ उत्तरदायित्व भी मिलते ही है. यह बात ठीक है कि अभी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के रूप में गेस को केवल आंशिक स्वतंत्रता ही मिली है और अभी बहुत लड़ाई बाकी हैपर इतने पर भी कई गेस इस स्वतंत्रता का गलत अर्थ निकालने से नहीं चूकते।

अभी जब कि लगभग पूरा समाज गेस के विरुद्ध ही खड़ा हुआ है, अधिकाँश गे लोगो को स्वयं की छवि की कोई चिंता नहीं है. उनको चिंता है तो बस इस बात की के कैसे इस 'नई-नई' मिली स्वतंत्रता का पूरा मज़ा लिया जाए, फिर भले ही लोग गेस को "मात्र सेक्स के लिए उतावला" जीव मानते रहें।

अच्छा होगा कि सभी गे लोग अपने आचरण की समीक्षा कर उसे सुधारने का प्रयास करें। कम से कम इस हाल ही में मिली इस आंशिक स्वतंत्रता के कारण हम सबका इतना उत्तरदायित्व तो बनता ही है कि हम समाज को यह सिद्ध करके दिखाएं कि हम भी उन सभी अधिकारों को पचा सकते है जिनपर अभी समाज के बाकी लोगों का एकछत्र अधिकार है. 

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

Tuesday, 13 August 2013

गे मित्रमंडल (Gay Friends’ Circle)

At one point of time Joey was my crush.... hehehe...
जब से पहली बार ‘गे’ शब्द के बारे में पता चला और यह अहसास हुआ कि मेरी तरह और लोग भी है, तभी से मन में यह उत्कंठा बनी रहती थी कि कब अपने जैसे लोगों से दोस्ती करके मेरी उन भावनाओं को अभिव्यक्त होने का मौका मिलेगा जो मैं अपने बाकी दोस्तों के साथ नहीं बाँट सकता था. दोस्तों से लड़कियों की प्रशंसा जो मेरे लिए व्यर्थ ही थी, सुनकर मन किया करता था कि कितना अच्छा होता जो किसी दोस्त से मैं भी उस लड़के के बारे में बात कर सकता जो मुझे काफ़ी अच्छा लगता था या फिर ऐसी ही बातें उनके मुंह से सुनता.

भाग्य से अब कुछ ऐसे दोस्त बना लिए है जिनसे अपने मन की ऐसी भावनाओं की बातें हो जातीं है. सबसे अक्सर मिलना तो नहीं होता, पर कईयों से अक्सर फ़ोन पर बात हो जाती है तो किसी से फेसबुक पर. कोशिश यह है कि आस-पास रहने वाले दोस्तो की एक दूसरे से भी पहचान करवाई जाए, जिससे एक छोटा सा सही पर एक अच्छा ‘मित्रमंडल’ तैयार हो जिसकों समय पड़ने पर समाज और परिवार के सामने यह दिखाने के लिए प्रस्तुत किया जा सके कि अधिकाँश गे वैसे नहीं है जैसा कि वे लोग सोचते है. पर हां, मेरे स्वयं का आलसी स्वाभाव और व्यस्तता ही इसमें सबसे बड़ी अड़चन है.

आशा है कई और लोग मेरे से बेहतर प्रयास करने में लगे होंगें. ऐसा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शुभकामनाये.