मेरे हिंदी फिल्मों को कम पसंद करने की एक बड़ी वजह उनमे
प्यार के Heterosexual पक्ष भर को ही दिखाने से जुड़ी रही है, रही सही कसर गे लोगों
की दिखाई जाने वाली बेज्जती पूरी कर देती है (सबसे हाल का उदाहरण फिल्म ‘फुकरे’ का
है जिसमे शुरूआती दृश्य में ही गेस को तिरस्कृत किया गया है).
Bollywood से अपेक्षाएं कम ही है फिर भी दो गेस के
प्यार पर आधारित कोई Mainstream हिंदी मूवी देखने का मन में बड़ा लोभ होता है.
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