लाख
बहानेबाज़ी कीजिये, कितने ही किन्तु परन्तु लगाइये, कितना ही गला फाड़-फाड़ कर यह
ढिंढोरा पीटिए कि दो गे एक सच्चा और पवित्र संबंध बनाकर जीवनभर साथ-साथ नहीं रह सकते....
अंततोगत्वा आपका मन आपके सब बहानों की पोल स्वयं तब खोल देता है जब आप ऐसी
तस्वीरों को देखते है और ऐसे ही किसी क्षण की कल्पना अपने जीवन में करने लगते है.
आपकी सोच आपके विभिन्न तर्कों पर स्वयं पानी फेर देती है जब आप इस निष्कर्ष पर
पहुँचते हैं कि आप भी किसी लड़के से ठीक उसी तरह का ही तो प्यार करते है जैसा आपका कोई दोस्त किसी लड़की से करता है.
जब
बार बार ऐसा हो तो समय रहते व्यर्थ बहाने बनाने और “असंभव-असंभव” की रट को छोड़
देने में ही भलाई है.
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