Saturday, 17 August 2013

घिनौनी सोच


क्या आप विश्वास कर सकते है कि किसी का भाई उसके गे होने पर इतना ज्यादा शर्मिंदा है कि उसे लगता है कि बेहतर होता अगर उसका भाई गे होने के बजाय एक बलात्कारी होता। (एक Facebook Friend ने अभी कुछ ही दिन पहले यह बात मुझे बताई). 


सच पूँछिये तो गे विरोधी लोगों के अधिकाँश तर्क इसी प्रकार 'Self-Defeating' ही होते है. पर दुःख की बात है कि इतनी गन्दी और असामाजिक सोच रखने वाले लोगों की जहाँ भर्त्सना होनी चाहिए वहीं उनको सम्मान दिया जा रहा है और दूसरी ओर साफ़ मन और निष्कपट चरित्र वाले कुछ मनुष्यों को घिनौना करके सिर्फ इसलिए दिखाया जा रहा है क्योंकि वे गे है. 


सोचा ही जा सकता है कि उस Friend के मन पर क्या गुज़रती होगी।

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