स्वतंत्रता कभी भी निरंकुश नहीं हो सकती।
किसी भी तरह की स्वतंत्रता के साथ कुछ उत्तरदायित्व भी मिलते ही है. यह बात ठीक है कि
अभी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के रूप में गेस को केवल आंशिक स्वतंत्रता ही मिली है और अभी बहुत लड़ाई बाकी
है, पर इतने पर भी कई गेस इस स्वतंत्रता का गलत अर्थ
निकालने से नहीं चूकते।
अभी जब कि लगभग पूरा समाज गेस के विरुद्ध ही खड़ा
हुआ है, अधिकाँश गे लोगो को स्वयं की छवि की कोई चिंता नहीं है. उनको चिंता है तो
बस इस बात की के कैसे इस 'नई-नई' मिली स्वतंत्रता का पूरा मज़ा लिया जाए, फिर भले ही लोग गेस को "मात्र सेक्स
के लिए उतावला" जीव मानते रहें।
अच्छा होगा कि सभी गे लोग अपने आचरण की समीक्षा कर उसे सुधारने का प्रयास करें। कम से कम इस हाल ही में
मिली इस आंशिक स्वतंत्रता के
कारण हम सबका इतना
उत्तरदायित्व तो बनता ही है कि हम समाज को यह सिद्ध करके दिखाएं कि हम भी उन सभी
अधिकारों को पचा सकते है जिनपर अभी समाज के बाकी लोगों का एकछत्र अधिकार है.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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