At one point of time Joey was my crush.... hehehe... |
जब से पहली बार ‘गे’ शब्द के बारे में पता चला और यह
अहसास हुआ कि मेरी तरह और लोग भी है, तभी से मन में यह उत्कंठा बनी रहती थी कि कब
अपने जैसे लोगों से दोस्ती करके मेरी उन भावनाओं को अभिव्यक्त होने का मौका मिलेगा
जो मैं अपने बाकी दोस्तों के साथ नहीं बाँट सकता था. दोस्तों से लड़कियों की प्रशंसा
जो मेरे लिए व्यर्थ ही थी, सुनकर मन किया करता था कि कितना अच्छा होता जो किसी
दोस्त से मैं भी उस लड़के के बारे में बात कर सकता जो मुझे काफ़ी अच्छा लगता था या
फिर ऐसी ही बातें उनके मुंह से सुनता.
भाग्य से अब कुछ ऐसे दोस्त बना लिए है जिनसे अपने मन की
ऐसी भावनाओं की बातें हो जातीं है. सबसे अक्सर मिलना तो नहीं होता, पर कईयों से अक्सर
फ़ोन पर बात हो जाती है तो किसी से फेसबुक पर. कोशिश यह है कि आस-पास रहने वाले दोस्तो
की एक दूसरे से भी पहचान करवाई जाए, जिससे एक छोटा सा सही पर एक अच्छा ‘मित्रमंडल’
तैयार हो जिसकों समय पड़ने पर समाज और परिवार के सामने यह दिखाने के लिए प्रस्तुत
किया जा सके कि अधिकाँश गे वैसे नहीं है जैसा कि वे लोग सोचते है. पर हां, मेरे
स्वयं का आलसी स्वाभाव और व्यस्तता ही इसमें सबसे बड़ी अड़चन है.
आशा है कई और लोग मेरे से बेहतर प्रयास करने में लगे होंगें.
ऐसा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शुभकामनाये.
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