कभी-कभी उससे फ़ोन पर
बातें करते हुए ऐसा भी मन होता है कि दोनों कुछ समय के लिए बिल्कुल चुप रहें. शायद
यह उन पलों की भरपाई करने का माध्यम होता है जो हमें लम्बे समय तक साथ-साथ रहने के
बाद ही उपलब्ध हो सकते है जब करने के लिए कोई बात ही शेष न रह जाती हो और जब एक
दूसरे की उपस्तिथि ही पर्याप्त होती हो.
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