क्या कभी कोई सामान्य मनुष्य बिना प्यार के पूरा जीवन बिताने के बारे में सोच सकता है? क्या एक साधारण आदमी हमेशा हमेशा के लिए अपने दिल से एक परिवार का सपना दूर बनाए रख सकता है? क्या जीवन में स्थायित्व की चाह को आज तक कोई नकार पाया है?
अगर नहीं, तो फिर क्यों कुछ लोग ऐसा दुष्प्रचार करने में लगे रहते हैं कि गे लोगों को इन सब की आवश्यकता नहीं होती? यह माना कि कई गे लोगो को एक पुरुष के साथ अपने रिश्ते को स्वीकार करना 'असंभव' जान पड़ता है, पर इसका मतलब यह तो नहीं कि ये इच्छाएं उनके मन में नहीं हैं! सामान्य धारणा (जो न केवल स्ट्रैट लोगो की गेस के विषय में है अपितु स्वयं गेस की गेस के विषय में भी है) के विपरीत अधिकाँश गे लोगों के दिल में अपने ही जैसे एक पुरुष (जिससे वे प्यार करते है) के साथ एक प्यारा सा परिवार बसाने के सपना छुपा हुआ है और वे इसे साकार भी करना चाहते है बशर्ते उनको इसके लिए पूरे समाज से लड़ना न पड़े। पर असल जिन्दगी में अधिकांश समाज के डर, परिवार की बदनामी, एक सही व्यक्ति न मिल पाने की निराशा से हार मानकर लड़ नहीं पाते।
पर सिद्धांत तो यही है कि जो बात आपके मन को, आपकी अंतरात्मा को ठीक लगे, उसे ही करना चाहिए, चाहें ऐसा करने में कितनी ही मुश्किलें क्यों न हों। अतः एक बार के लिए गे लोगो पर इस बात का तो आरोप लगाया जा सकता है कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को दबा देते है या फिर कि वे पर्याप्त साहसी नहीं होते, पर यह कभी नहीं कहा जा सकता कि वे प्यार और परिवार की चाह नहीं रखते।
********
No comments:
Post a Comment