जिंदा हूँ तो पूंछते नहीं
हो हाल भी हमारा
मर जाऊँगा तो याद करोगे हर
बात - हर किस्सा हमारा
महफ़िल में करोंगे याद या ना
करोगे
मगर तन्हाई में गुनगुनाओगे
गीत हमारा
मेरे होने का एहसास ही
तुमको तब होगा जहाँ में
जब इस जहाँ को छोड़कर चले
जायेगे हम तुम्हारे हवाले
सजा ए मौत से बढकर सजा ए
जिन्दगी है यारां
रोज़ मार जाती है हमको दिन
के जाते जाते
तुम कहते हो मशगूल है काम
में बहुत
वरना याद तो आती है हर वक्त
तुम्हारी
मगर मेरे अंदाज़ मेरी आदायें
यूँ न भुला पाओगे
जलेगा ये जिस्म जहाँ, वहां
यादें न जला पाओगे
और एक मुद्दत हुई के मिले
नहीं प्रल्लव से तुम
मगर रोने ज़रूर आओगे मेरे
जनाज़े के आगे
(Courtesy : Akash Sharma)
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