Monday, 29 July 2013

Thank God! Good Sense Prevailing!

A welcome comment by Pope!

"If a person is gay and seeks God and has good will, who am I to judge him?" - Pope Francis

Hope the Church stops funding anti gay people too!
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Saturday, 27 July 2013

अनावश्यक जोखिम



भगवान के लिए खुद को भेड़-बकरी सिद्ध करना बंद कीजिए। आज के समय में तो कोई किसी लड़की की शादी भी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ नहीं कर सकता। कितने ही उदाहरण हैं जहाँ छोटे-छोटे शहरों में रहने वाली लड़कियों ने भीपरिवार के अत्याधिक पुरानी विचारधारा के होते हुए, अपनी मर्ज़ी के बगैर शादी नहीं की. तब कैसे इस बात पर विश्वास किया जा सकता है कि एक शहरीपड़े लिखे तथा कमाऊ लड़के को जबरदस्ती शादी के मंडप में बिठाया जा सकता है?
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बेशक बुरी लगे, पर सच्ची बात तो यह है कि कई गे लोगों को खुद ही एक लड़की से शादी करना परम-सत्य लगता है. वे एक लड़के के साथ सेक्स के विषय में तो ख़ुशी-ख़ुशी सोच सकते है पर परिवार और समाज के विरुद्ध जाकर उसके साथ पूरा जीवन साथ बिताने के बारे में सोचना उन्हें एक अनावश्यक जोखिम लगता है.
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लेकिन सच्चाई सामने आते अधिक देर कहाँ लगती है! और फिर शुरू हो जाता है परिवार और लड़की पर मिथ्या दोष मडना!
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(कृपया अपनी लाचारी और मजबूरियों के किस्से कमेंट्स में बताकर समय बर्बाद न करें।) 

Friday, 26 July 2013

भुगतिए

'महान' गायक कैलाश खेर के द्वारा गाया गया यह गाना तो आप सब ने सुना ही होगा - "मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया". निश्चय ही अधिकाँश लोगों ने पसंद भी किया होगा। 

पर आपको जानकर आश्चर्य होगा कि "अपने प्यार से जुदा होने के स्थान पर मरना पसंद करना" जैसी ऊँची भावना रखने वाला गाना गाने के बाद भी गायक (?) कैलाश खेर संभवतया प्यार को मन एवं आत्मा का विषय मानने के स्थान पर शरीर का विषय मानते है. नहीं तो दो गे लोगों के बीच के प्यार पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाते।

गलती हमारी भी है कि बिना किसी व्यक्ति के विचारों को जाने किसी को भी 'celebrity' बना देते है और 'by default' काफी समझदार मानने लगते है. भुगतिए।           

Courtesy : Steven Hawkins

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And God Made Them!


खोखले विरोधी

अक्सर गे संबंधो का विरोध करते वही लोग दिखाई पड़ते है जो खुद प्यार के बारे कुछ जानकारी नहीं रखते। आखिर जो व्यक्ति परिवार और समाज के द्वारा विरोध की स्तिथि में अपनी 'प्रेमिका' को तिलांजली देने की वकालत करता हो, उसे दो लड़कों अथवा दो लड़कियों के बीच के प्रेम-संबंध के विषय में समझ होगी ऐसा सोचना भी नादानी है. 
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हैरानी की बात तो तब होती है जब स्वयं परिवार और समाज के विरोध के बावजूद 'प्रेम-विवाह' करने वाले लोग दो गे लोगो के बीच के प्यार का उपहास करते है और उसे सामाजिक व्यवस्था के लिए 'खतरनाक' बताते है.
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साफ़ है कि दोनों ही प्रकार के लोगो को किसी और के प्रेम के विषय में बोलने का कोई अधिकार नहीं है. इसलिए सच्चा प्यार करने वाले गे लोगो को इनसे डरने की कोई वजह नहीं है वरन समय आने पर इन लोगो को मुहतोड़ जवाब देने में कोई कसर न रख छोड़े।  

Thursday, 25 July 2013

सच्ची भूख

परिस्तिथीवश अगर किसी को 2-3 दिन कुछ भी खाने को न मिले तो क्या वह व्यक्ति अपनी भूख को भुला सकता है? इसी प्रकार पैसे कमाने की दिन-रात कोशिश करने के उपरांत भी विफल रहने पर क्या कोई पैसा कमाने की इच्छा ही त्याग देता है? यदि नहीं तो कैसे कोई गे व्यक्ति एक सही साथी खोज पाने में असफल रहने पर एक जीवन-साथी एक साथ रहने के सपने को त्याग सकता है?
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हाँ, अगर आपकी इच्छा, भूख और सपने ही दिखावे मात्र के लिए थे तो और बात है. और अगर ऐसा नहीं है तो आप अपनी भूख शांत करने के लिए प्रयत्न करेंगें ही; आप पैसा कमाने के लिए फिर-फिर प्रयास करेंगें ही. बेशक आपके सामने वर्षों तक आपके सपनों का जीवनसाथी न आये, आप अपनी तलाश जरूर ही जारी रखेंगें।   

शर्म नहीं आती आपको?

चलिए एक बार यह मान लिया कि आपका परिवार और समाज आपको एक गे के रूप में स्वीकार नहीं करेगा और यह वजह आपके एक लड़की से शादी करने के निर्णय के लिए 'काफी' है. पर जब आपका जीवन भर एक पुरुष के साथ रहने का कोई इरादा है ही नहीं, तो फिर क्यों आप कुछ समय के लिए "प्यार" और "संबंध" का ढोंग रचकर किसी की भावनाओं के साथ खेलते हो? शर्म नहीं आती आपको?

Wednesday, 24 July 2013

"अचानक" हुआ अहसास

जब भी किसी Gay Friend को किसी विफ़ल हो चुके या विफल होने वाले 'सम्बन्ध' के पीछे सब कुछ जानते हुए भी भागता देखता हूँ तो अधिक हस्तक्षेप न कर पाने योग्य स्वयं की स्तिथि से झुंझलाहट होती है। पीड़ा तब और भी बड़ जाती है जब सम्बन्ध टूटने की वजह होती है- दोनों में से किसी एक को "अचानक" हुआ अहसास की समाज इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करेगा।  

Tuesday, 23 July 2013

पश्चिम का अनुकरण



जब भी कोई 50-60 साल के अंकल भीड़-भाड़ भरी मेट्रो ट्रेन या बसों में मौके का फायदा उठाते मिलते है तो एक बात अक्सर मन में आती है: अगर आज के कई युवा लड़के और लड़कियों का गे होना अगर उनके द्वारा किये जाने वाले पाश्चात्य सभ्यता के अंधे अनुसरण का नतीजा है तो इस उम्र के लोग कैसे 'गे-प्रवृति' के 'शिकार' हो गए. 

ऐसी बात नहीं है कि इन लोगो ने अभी हाल ही में अपनी 'रूचि' बदली हो. अगर आपको अपने से उम्र में काफी बड़े लोगो से मुक्त रूप से मित्रवत बातें करने के मौका मिलता हो तो कभी उनसे पूंछिये कि क्या उन्हें अपने समय के किसी पुरुष के किसी दूसरे पुरुष के प्रति आकर्षण का किस्सा याद नहीं है? निश्चय ही वे आज से 30-40 साल पहले के छुपे हुए किसी गे सम्बन्ध का उदाहरण अवश्य दे देंगें। वह भी किसी ऐसे गाँव-कसबे का जहाँ पश्चिमीकरण की हवा अभी तक स्वछंदता से बहनी शुरू नहीं हुई है. 

असल में भारत में किसी भी कठिन प्रश्न का उत्तर जब देते न बने तो उसका दोष विदेशी शक्तियों पर मड देने की प्रथा चल निकली है. यही हल लोगो ने गेस के न्यायसंगत प्रश्नों के लिए भी निकाला है. सच्ची भारतीय संस्कृति से अनभिग्य ये लोग यह नहीं जानते कि असल में यह एक पश्चिमी विदेशी धर्म (ईसाई) का ही सिद्धांत है कि किसी के गे होने का मतलब है "ईश्वर से विमुख होकर शैतान के कब्ज़े में होना". यह भी एक विदेशी धर्म (इस्लाम) ही है जिसमे गे लोगो के साथ किये जाने वाले व्यवहार के विषय में मतभेद केवल इतना ही है कि उन्हें किस प्रकार मौत की सज़ा दी जाए (पत्थरों से मारकर या ऊँचाई से गिरा कर). अतः गे लोगों पर पश्चिमी अनुसरण का आरोप लगाने वाले पहले अपना सामान्य ज्ञान दुरुस्त करें तो अच्छा होगा।

Monday, 22 July 2013

हलवा चाहिए?

"अगर हमारी society भी gays को स्वीकार करती तो मैं कभी भी अपने प्यार को नहीं छोड़ता।"
 "प्यार तो मैं उसे बहुत करता हूँ पर घरवाले कभी नहीं मानेगें।"
"एक लड़की से शादी करके भी मैं प्यार उसी को करता रहूँगा।"
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और भी न जाने क्या-क्या! भईया सीधे सीधे क्यों नहीं कहते कि प्यार नहीं तुमको हलवा चाहिए! 

Course of True Love


Friday, 19 July 2013

Spurious Excuses

Everyone wants someone to hug at times!
There are many gay people who are very nice human beings and who can prove to be a “Perfect Life Partner” for anyone who is looking for one. But, despite believing in the principles of equality and knowing that there is nothing fundamentally wrong being a gay, many a times they seem to be so much passive in their approach that they become totally unresponsive for anyone who is approaching them with a intention of starting a genuine life long relationship. And it is not so that this passive approach or rather pessimism is without any ‘reason’, but usually the reasons specified are so vague and illogical that they seem totally spurious. How can your past illness (which is cured now) be a hurdle in searching a Life Partner? Similarly how does you being sexually abused as child disqualifies you from entering into a relationship? Being a gay all of us know how difficult it is to find a person who has faith in ‘gay-relationships’ and who is courageous enough to try for the same. Finding such person ultimately, even after successive and painful failed attempts, is what each genuine and relationship-seeker gay is praying for.  But why do some people have crush on a person who is out rightly declaring himself to be a sex-seeker? Many a times people indulge is such a foolish manifestation of emotions that they forget what their ultimate aim is, i.e. to find a reasonable person who will remain committed to them no matter what, and unfortunately fall for a person for whom they are just another sex date! Although committing such mistake is no crime (and at some point or the other we have all committed such mistake) but it becomes culpable when a person becomes so delirious by such an emotional outburst which renders them incapable for “trying for a relationship one more time” for an indefinite period of time which usually subsume their ‘eligible’ life span.  Living with such an emotional mind is not bad in the case you are happy with your present state but it really becomes contradicting and incurable when feel the urge of being with someone and know that you should move on but you can’t.  Others are the victim of a self imposed exile. They feel for some curiously unknown reasons that they simply can’t be with anyone at least in their present life. Many are simply too afraid of letting anybody come near them.  But one thing is common to all such people with spurious reasons, which is that they all say that (a)Most of gays are sex seekers; (b)Nobody is looking for relationships; (c) People just want to use them for sex; (d)Gay relationships are impossible in India. I ask, what right such people have to say this? They are themselves contributing to such notions about gays! Each time they refuse an offer of a genuine person (who they otherwise like!) they are producing one more example where a gay found to be non-serious for entering into a relationship. There are many-many gays want to get a nice life partner and who meet such people, but each time all they get is despair. I know, every person is free to do whatever he/she feels is right, but it is also a fact that many a times we do many such things which we know are not right and abstain from doing many right things. Therefore I can only urge such people to look within and ask themselves a question – “Why do we have difficulty in finding an
True image of gays, usually remains hidden
example of successful gay relationship?” The answer would be –“It is not because of sex-seekers that gays are considered to be unfit for relationships rather it is because of otherwise genuine gays backing out on the pretext of one or more spurious reasons that we have difficulty in find an example of successful gay relationship.”

Thursday, 18 July 2013

Power of Love


हताशा भरी तलाश

कितने ही ऐसे Facebook Friends को जानता हूँ जो लम्बे समय से किसी जीवन साथी की तलाश में हैं और थककर या तो सब आशाएं छोड़ चुके हैं या छोड़ने ही वाले है. कईयों को तो प्रयास करते करते 3-4 साल से भी अधिक समय हो गया है. जब कोई Friend कहता है कि “हर कोई तुम्हारे जितना भाग्यशाली नहीं होता.” तो मन उनके मन की पीड़ा अच्छी तरह समझ लेता है. चाह कर भी इस विषय में उनकी कोई मदद नहीं कर पाता सिर्फ मेरे ख़ुद के द्वारा किये गए प्रयासों के बारे में बताकर उनका मनोबल ही बडाने की कोशिश करता हूँ.

मेरा शुरू से ही यह मानना रहा है कि एक जीवन साथी खोजते समय जहाँ (1)प्यार, (2)सच्चाई, (3)भविष्य में उठाए जाने वाले कदमो के बारे में स्पष्ट सोच, (4)साफ़ मन, (5)हमेशां के लिए साथ, और (5)‘गे संबंध’ को भी एक साधारण संबंध की तरह ही सेक्स से ऊपर मानना जैसी बातों पर मैं कभी समझोता नहीं कर सकता था, वहीँ रंग-रूप, शिक्षा का स्तर, रूपए-पैसे, उम्र जैसी चीज़ों पर मेरे कोई कड़े मापदंड नहीं थे. शायद मेरी सफलता की यही वजह रही.

अक्सर हमें इस बात का भान ही नहीं होता कि हमें इस बात का ही पता नहीं होता कि हम क्या चाहते है और क्या नहीं. एक बार यह तय हो जाए कि हम बिना किसी साथी के अकेले जीवन नहीं गुज़ार सकते तो इसी बात का ज्ञान ही हमारे लिए सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत का काम करेगा.   

No Escape From Love!


Wednesday, 17 July 2013

Vicks Vaporub और एक गे की पीड़ा

आज टीवी पर Vicks Vaporub का यह advertisement देखा तो मन में एक प्रसन्नता होने के साथ-साथ एक प्रकार की हताशा भी हुई: 
प्रसन्नता का वजह मेरी उसको "मेरा बच्चा" कहकर बुलाने की आदत थी, जिसको टीवी पर देखकर एक मुस्कुराहट सी चेहरे पर आ गई. हताशा का कारण इस बात की आशंका थी कि कहीं मैं वाकई एक बच्चे को "मेरा बच्चा" कह कर पुकार ही न पाऊं और जीवन भर उसे ही मैं ऐसा कह कर पुकारूं! मुझे भी दो-दो "मेरे बच्चे" चाहियें. पर इस देश में अभी तक एक गे व्यक्ति को ऐसा सपना देखने का दुस्साहस करने का अधिकार नहीं है.