अक्सर गे संबंधो का विरोध करते वही लोग दिखाई
पड़ते है जो खुद प्यार के बारे कुछ जानकारी नहीं रखते। आखिर जो व्यक्ति
परिवार और समाज के द्वारा विरोध की स्तिथि में अपनी 'प्रेमिका' को तिलांजली देने की वकालत करता हो, उसे दो लड़कों अथवा दो लड़कियों के
बीच के प्रेम-संबंध के विषय में समझ होगी ऐसा सोचना भी नादानी है.
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हैरानी की बात तो तब होती है जब स्वयं परिवार और समाज के
विरोध के बावजूद 'प्रेम-विवाह' करने वाले लोग दो गे लोगो के
बीच के प्यार का उपहास करते है और उसे सामाजिक व्यवस्था के लिए 'खतरनाक' बताते है.
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साफ़ है कि दोनों ही प्रकार के लोगो को किसी और के प्रेम के विषय में बोलने का कोई
अधिकार नहीं है. इसलिए सच्चा प्यार करने वाले गे लोगो को इनसे डरने की कोई वजह
नहीं है वरन समय आने पर इन लोगो को मुहतोड़ जवाब देने में कोई कसर न रख छोड़े।
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