कितने ही 20-22 साल के गे लड़के है जिन्होंने अपनी सच्चाई
अपने परिवार को बताई और पूरे परिवार का सहयोग भी पाया पर अपने भाई को मनाने में
विफल रहे. किसी की सच्चाई जानकर उसके भाई ने उससे बात करना ही बंद कर दिया, या किसी
पर गे होने के शक के कारण उसके भाई ने उसे पहले ही धमकी भरे अंदाज़ में समझा दिया
कि अगर ऐसा कुछ भविष्य में निकलता है तो तुम्हारा हमारा रिश्ता ख़त्म.
मुझे तो लगता है कि तथाकतिथ “मर्द” लोग ही ज्यादा कमज़ोर
हैं. उन्ही को इस बात का सबसे ज्यादा भय सताता है कि परिवार के किसी सदस्य के गे
होने पर वे समाज को क्या जवाब देंगें. या फिर वे इतने स्वार्थी हैं कि अपने हितों
की पूर्ति के मार्ग में वे अपने भाई की खुशियों की अनदेखी करने में जरा भी नहीं
हिचकिचाते.
एक गे होने के कारण में अक्सर ऐसा सोचता था कि मेरे
मम्मी-डैडी की एक बहु पाने की हसरत को पूरा करने के लिए एक भाई होता तो कितना
अच्छा रहता, पर ऐसी बातें सुनकर तो ऐसा लगता है कि अच्छा ही है कि मेरा कोई भाई
नहीं है, कम से कम मेरे गे होने की वजह से कोई मुझसे बोलना तो बंद नहीं करेगा.
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