दुःख की बात है कि कई गे लोग केवल इसलिए समाज की जिद्द के
आगे घुटने टेक देना चाहते है क्योंकि उनको लगता है कि दो गे व्यक्ति अधिक से अधिक
दोस्त हो सकते है और जीवन में सिर्फ एक दोस्त का होना काफी नहीं है. गे परिवार तो
जैसे उनकी कल्पना से बाहर की चीज़ होती है.
शायद ऐसी सोच रखने वाले थोड़ा गहराई से सोचे तो पायेंगे कि
जिन सम्बन्धियों और समाज के लोगों को खुश रखने के लिए ये अपनी भावनाओं और किसी के
प्यार का बलिदान करने को तैयार हो जाते हैं वे ज़रुरत के समय दूर खड़े होकर तमाशा भर
ही देखेंगे. समय पड़ने पर कोई अपना ही काम आता है जिसे ऐसे लोग समाज को खुश रखने के
लिए अपने से हमेशां हमेशां के लिए दूर कर चुके होते है.
No comments:
Post a Comment