Monday, 8 July 2013

दो रास्ते

​अभी तक ऐसे पड़े-लिखे लोगों की भरमार है जो गेस को घिनोना, गन्दा, पथभ्रष्ट या फिर एक आदर्श समाज के लिए खतरनाक मानते है।​

आपके पास ​
दो 
​ही रास्ते हैं।​ या तो ऐसे लोगो को बिना किसी प्रतिरोध के ऐसा दुष्प्रचार करने दिया जाए (जैसा की अधिकाँश गे करते है) या फिर जी-जान से इनकी हर घटिया बात का 'देश, काल, परिस्तिथि' के अनुसार समुचित उत्तर दिया जाये।
 (ऐसा करते हुए ज़रूरी नहीं की आप एक गे बनकर सामने आयें). 

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