अभी तक ऐसे पड़े-लिखे लोगों की भरमार है जो गेस को घिनोना, गन्दा, पथभ्रष्ट या फिर एक आदर्श समाज के लिए खतरनाक मानते है।
आपके पास
दो
ही रास्ते हैं। या तो ऐसे लोगो को बिना किसी प्रतिरोध के ऐसा दुष्प्रचार करने दिया जाए (जैसा की अधिकाँश गे करते है) या फिर जी-जान से इनकी हर घटिया बात का 'देश, काल, परिस्तिथि' के अनुसार समुचित उत्तर दिया जाये।
(ऐसा करते हुए ज़रूरी नहीं की आप एक गे बनकर सामने आयें).
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